"धर्मचक्र": अवतरणों में अंतर
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'''धर्मचक्र''', धर्मशिक्षा रूपी चक्र (पहिया) का प्रतीक है जिसे [[महात्मा बुद्ध|गौतम बुद्ध]] ने [[काशी]] के निकट [[सारनाथ]] में सबको धर्म की शिक्षा देने के लिए चलाया था। यह प्रगति और जीवन का प्रतीक भी है। महात्मा बुद्ध ने सारनाथ में जो प्रथम धर्मोपदेश दिया था उसे ''धर्मचक्र प्रवर्तन'' भी कहा जाता है।
== इतिहास ==
बौद्ध कथायें हमें बतलाती हैं कि शक्र और महाब्रह्मा की प्रार्थना को स्वीकार कर बुद्ध वज्रासन से उतर पड़े और [[वाराणसी]] की ओर चले। वहां पर सारनाथ में, जिसे उस समय '''इसिपतन''' कहते थे, उन्हें उनके पुराने पांच साथी मिल जो आगे चल कर पंच भद्रवर्गीय भिक्षु कहलाये। इन भिक्षुओं को उन्होंने सर्वप्रथम 'बहुजनहिताय बहुजनसुखाय' अपना अमूल्य उपदेश दिया और इस प्रकार अपने धर्मचक्र को गति दी।
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रुपकात्मक भाषा का प्रयोग करते हुए [[ललितविस्तर]] बतलाता है कि इस प्रकार बारह तिल्लियों वाले, तीन रत्नों से सुशोभित धर्म चक्र को कौडिन्य, पंच भद्रवर्गीय, छह करोड़ देवता तथा अन्यान्य लोगों के सम्मुख भगवान बुद्ध द्वारा चलाया गया।१३
== महत्व एवं प्रतीक==
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* [[भारत]] के राष्ट्रीय्-ध्वज ([[तिरंगा-ध्वज]]) के मध्य की पट्टी में धर्मचक्र रखा गया है।
* [[सिक्किम]] के राष्ट्रीय-ध्वज में धर्मचक्र का एक विशेष रूप स्वीकार किया गया है।
* [[यूनिकोड]] में धर्मचक्र के लिये एक संकेत प्रदान किया गया है और उसका यूनिकोड है - U+2638 (☸).
== इन्हें भी देखें ==
* [[अष्टमंगल]]
* [[चक्रवर्ती]]
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