"कांचबिंदु": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 3:
other_name = ''ग्लौकोमा'' |
Image = Human eye cross-sectional view grayscale.png|
Caption = Humanमानव eyeआंख crossका पार-sectionalअनुभाग दृश्य view.|
DiseasesDB = 5226 |
ICD10 = {{ICD10|H|40||h|40}}-{{ICD10|H|42||h|40}}|
पंक्ति 35:
कालेमोतिया का कारण अक्षि-चिकित्सक (ऑप्थैल्मोलॉजिस्ट) ही बेहतर पहचान सकता है। नियमित जांच से इसकी पहचान संभव हो सकती है। इस रोग में रोगी को सिरदर्द, मितली और धुंधला आना शुरू हो जाता है। कई रोगियों को रात में दिखना बंद भी हो जाता है। टय़ूब लाइट या बल्ब की रोशनी चारों ओर से धुंधली दिखने लगती है। आंखों में तेज दर्द भी होने लगता है। ओपन एंगल ग्लूकोमा में चश्मे के नंबर तेजी से बदलना पड़ता है। इसकी जांच में विशेषज्ञ दृष्टि-तंतु (ऑप्टिक नर्व) के मस्तिष्क से जुड़ने वाले स्थान पर होने वाले परिवर्तन की जांच करते हैं।
 
[[Image:Glaucoma world map - DALY - WHO2004.svg|thumb|ग्लूकोमा के लिये प्रति १ लाख निवासियों के लिये २००४ के विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष। <ref>{{cite web |url=http://www.who.int/entity/healthinfo/global_burden_disease/gbddeathdalycountryestimates2004.xls |title=डेथ एण्ड डेली एस्टिमेट्स फ़ोर २००४ बाय कॉज़ फ़ोर WHO मेंबर स्टेट्स|format=एक्सेल|work=[[विश्व स्वास्थ्य संगठन]]|year=२००४|accessdate=}}</ref><div class="references-small" style="-moz-column-count:3; column-count:3;">
{{legend|#b3b3b3|no data}}
{{legend|#ffff65|less than 20}}
{{legend|#fff200|20-43}}
{{legend|#ffdc00|43-66}}
{{legend|#ffc600|66-89}}
{{legend|#ffb000|89-112}}
{{legend|#ff9a00|112-135}}
{{legend|#ff8400|135-158}}
{{legend|#ff6e00|158-181}}
{{legend|#ff5800|181-204}}
{{legend|#ff4200|204-227}}
{{legend|#ff2c00|227-250}}
{{legend|#cb0000|more than 250}}
</div>]]
ग्लूकोमा के उपचार की कई विधियां होती हैं जिनमें आंखों में दवा डालना, लेजर उपचार और शल्य-क्रिया शामिल हैं। यदि ग्लूकोमा रोगी उसके प्रति असावधानी व लापरवाही से रहें, तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है। अतएव इसके उपचार को शीघ्रातिशीघ्र एवं सावधानी से कराना चाहिए। शल्य-क्रिया उन्हीं रोगियों के लिए आवश्यक होती है जिनका रोग उन्नत स्तर स्टेज में पहुंच चुका होता है। ऐसे रोगियों में तरल दवा अधिक प्रभाव नहीं छोड़ती है। इसका लेजर से भी ऑपरेशन किया जाता है। कई मामलों में यह बीमारी आनुवांशिक प्रभावी भी देखी गई है। एक आंख में यदि काला मोतिया उतरा है तो उसके दूसरी आंख में भी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इसकी प्रारंभिक आईओपी जांच के परिणामों पर गंभीरता से निर्णय लेकर उपचार करा लेना चाहिए।