"विटामिन सी": अवतरणों में अंतर

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==गुण==
विटामिन-सी शरीर की मूलभूत रासायनिक क्रियाओं में यौगिकों का निर्माण और उन्हें सहयोग करता है। शरीरमेंशरीर में विटामिन सी कई तरह की रासायनिक क्रियाओं में सहायक होता है जैसे कि तंत्रिकाओं तक संदेश पहुंचाना या कोशिकाओं तक ऊर्जा प्रवाहित करना आदि। इसके अलावा, हड्डियों को जोड़ने वाला कोलाजेन नामक पदार्थ, [[रक्त वाहिका|रक्त वाहिकाएं]], लाइगामेंट्स, कार्टिलेज आदि अंगों को भी अपने निर्माण के लिए विटामिन सी चाहिए होता है। यह विटामिन [[कोलेस्ट्रॉल]] को भी नियंत्रित करता है। इसके अलावा [[लौह]] तत्वों को भी विटामिन सी से ही आधार मिलता है।यहहै। यह कार्य एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी कार्य करता है। ये शरीर की [[कोशिका]]ओं को बांध के रखता है। इससे शरीर के विभिन्न अंग को आकार बनाने में मदद मिलती है। यह शरीर की रक्त वाहिकाओं को मजबूत बनाने में सहायक होता है। इसके एंटीहिस्टामीन गुणवत्ता के कारण, यह सामान्य सर्दी-[[जुकाम]] में दवा का काम कर सकता है। इसके अभाव में मसूड़ों से खून बहता है, [[दांत]] दर्द हो सकता है, दांद मसूढ़ों में ढीले हो सकते हैं या निकल सकते हैं। चर्म में चोट लगने पर अधिक खून बह सकता है, रुखरा हो सकता है। इसकी कमी के कारण भूख भी कम लगती है, व बहुत अधिक विटामिन के अभाव से स्कर्वी हो सकता है।
 
==आवश्यकता==
मनुष्यों को विटामिन सी अलग से खाद्य पदार्थो के साथ ग्रहण करना होता है, क्योंकि शरीर इसका स्वयं निर्माण नहीं करता। ये फलों और सब्जियों से प्राप्त होता है, जैसे लाल मिर्च, संतरे, अनानास, टमाटर, स्ट्रॉबेरी और आलू आदि। यह घुलनशील तत्व होता है इसलिए कच्चे फल और सब्जियां इसके सबसे बड़े स्रोत हैं। प्रतिदिन एक औसत व्यक्ति को ८० मिलिग्राम विटामिन सी की आवश्यकता होती है। सेब के रस से भी यह प्राप्त होता है, लेकिन इसे अलग तत्वों की मदद से भी ग्रहण किया जाता है।अत्यधिकहै। अत्यधिक विटामिन सी भी हानिकारक हो सकता है। किसी भी स्थिति में एक दिन में विटामिन सी १००० मिलिग्राम से अधिक नहीं ग्रहण करना चाहिए। इससे अधिक वह शरीर को हाणिहानि भी पहुंचा सकता है। इससे से [[स्कर्वी]] जैसे कुपोषण जनित रोग होने की संभावना होती है। इसके अलावा इससे शरीर के विभिन्न अंगों में, जैसे कि गुर्दे, हृदय और अन्य जगह में, एक प्रकार की पथरी हो सकती है| यह ऑक्ज़ेलेट क्रिस्टल का बना होता है। इस पथरी के कारण मूत्र विसर्जन में जलन या दर्द हो सकता है, या फिर पेट खराब होने से दस्त हो सकता है। [[रक्ताल्पता]] या एनिमीया हो सकता है।
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==स्रोत==