"ग्रन्थ लिपि": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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[[दिवेस अकुरु]] का प्रयोग १२वीं से १७वीं सदी के बीच [[दिवेही भाषा]] लिखने के लिए होता था। इस लिपि के ग्रंथ से बहुत गहरे संबंध हैं।
==[[तुळु लिपि|तुळु]]-[[मलयालम लिपि|मलयालम लिपि]]==
तुळु-मलयालम लिपि को पारंपरिक ग्रंथ कहा जाता है; १३०० ईसवीं के करीब से आधुनिक लिपि का प्रयोग हो रहा है। आज कल दो संस्करणों का प्रयोग होता है: ब्राह्मणी, या चौकोर, और जैन, या गोल। तुळु-मलयालम लिपि ८वीं या नवीं सदी की ग्रंथ लिपि का एक संस्करण है। संभव है कि आधुनिक तमिल लिपि भी ग्रंथ से ही आई हो, पर यह निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है।[http://www.britannica.com/eb/topic-608729/Tulu-Malayalam-script]
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