"अतिशीतन": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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वास्तव में अतिशीतन एक अस्थायी क्रिया है। अतिशीतित द्रव मे तत्संगत पिंड का एक अति अल्प कण भी डाल देने से या बर्तन को हिला देने से संपीडन चालू हो जाता है और जब तक निकली हुई गुप्त उष्मा उसके ताप को सामान्य हिमांक तक न ले आए तब तक चलता रहता है। हवा की अनुपस्थिति अतिशीतन में सहायक होती है।
==इन्हें भी देखें==
*[[तुषारजनिकी]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
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