"शाकटायन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) नया पृष्ठ: {{आधार}} '''शाकटायन''' वैदिक काल के अन्तिम चरण (८वीं या ७वीं शताब्दी ई... |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:14, 26 अप्रैल 2010 का अवतरण
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |
शाकटायन वैदिक काल के अन्तिम चरण (८वीं या ७वीं शताब्दी ईशापूर्व) के वैयाकरण हैं। उनकी कृतियाँ उपाब्ध नहीं हैं किन्तु यास्क, पाणिनि एवं अन्य संस्कृत वैयाकरणों ने उनके विचारों का सन्दर्भ दिया है।
शाकटायन का विचार था कि सभी संज्ञा अन्तत: किसी न किसी धातु से व्युत्पन्न हैं। सम्स्कृत व्याकरण में यह प्रक्रिया क्रित-प्रत्यय के रूप में उपस्थित है।