"पद्म पुराण": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1:
{{ ज्ञानसन्दूक पुस्तक
[[चित्र:Brahma sarawati.jpg|thumb|right|300px|कमल पर विराजमान सृष्टिकर्ता [[ब्रह्मा]]]] महर्षि [[वेदव्यास ]]द्वारा रचित संस्कृत भाषा में रचे गए अठारण पुराणों में से एक पुराण ग्रंथ है। सभी अठारह पुराणों की गणना में ‘पदम पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। श्लोक संख्या की दृष्टि से भी इसे द्वितीय स्थान रखा जा सकता है। पहला स्थान स्कंद पुराण को प्राप्त है। पदम का अर्थ है-‘[[कमल]] का पुष्प’। चूंकि सृष्टि रचयिता [[ब्रह्मा]]जी ने [[भगवान]] [[नारायण]] के नाभि कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पदम पुराण की संज्ञा दी गई है। इस पुराण में भगवान विष्णु की विस्तृत महिमा के साथ, भगवान श्रीराम तथा श्रीकृष्ण के चरित्र, विभिन्न तीर्थों का माहात्म्य शालग्राम का स्वरूप, तुलसी-महिमा तथा विभिन्न व्रतों का सुन्दर वर्णन है।
| name = पदम पुराण
| title_orig =
| translator =
| image = [[चित्र:Padampuran.gif|150px]]
| image_caption = पदम पुराण, [[गीताप्रेस गोरखपुर]] का आवरण पृष्ठ
| author = वेदव्यास
| illustrator =
| cover_artist =
| country = [[भारत]]
| language = [[संस्कृत]]
| series = [[पुराण]]
| subject = विष्णु महात्यम्
| genre = हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ
| publisher =
| pub_date =
| english_pub_date =
| media_type =
| pages = ५५,००० श्लोक
| isbn =
| oclc =
| preceded_by =
| followed_by =
}}
[[चित्र:Brahma sarawati.jpg|thumb|right|300px|कमल पर विराजमान सृष्टिकर्ता [[ब्रह्मा]]]] महर्षि [[वेदव्यास ]]द्वारा रचित संस्कृत भाषा में रचे गए अठारण पुराणों में से एक पुराण ग्रंथ है। सभी अठारह पुराणों की गणना में ‘पदम पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। श्लोक संख्या की दृष्टि से भी इसे द्वितीय स्थान रखा जा सकता है। पहला स्थान स्कंद पुराण को प्राप्त है। पदम का अर्थ है-‘[[कमल]] का पुष्प’। चूंकि सृष्टि रचयिता [[ब्रह्मा]]जी ने [[भगवान]] [[नारायण]] के नाभि कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पदम पुराण की संज्ञा दी गई है। इस पुराण में भगवान विष्णु की विस्तृत महिमा के साथ, भगवान श्रीराम तथा श्रीकृष्ण के चरित्र, विभिन्न तीर्थों का माहात्म्य शालग्राम का स्वरूप, तुलसी-महिमा तथा विभिन्न व्रतों का सुन्दर वर्णन है।
 
==विषय वस्तु==
[[चित्र:Brahma sarawati.jpg|thumb|right|200px|कमल पर विराजमान सृष्टिकर्ता [[ब्रह्मा]]]]
यह पुराण सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वतंर और वंशानुचरित –इन पाँच महत्वपूर्ण लक्षणों से युक्त है। भगवान विष्णु के स्वरूप और पूजा उपासना का प्रतिपादन करने के कारण इस पुराण को वैष्णव पुराण भी कहा गया है। इस पुराण में विभिन्न पौराणिक आख्यानों और उपाख्यानों का वर्णन किया गया है, जिसके माध्यम से भगवान विष्णु से संबंधित भक्तिपूर्ण कथानकों को अन्य पुराणों की अपेक्षा अधिक विस्तृत ढंग से प्रस्तुत किया है। पदम-पुराण सृष्टि की उत्पत्ति अर्थात् ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना और अनेक प्रकार के अन्य ज्ञानों से परिपूर्ण है तथा अनेक विषयों के गम्भीर रहस्यों का इसमें उद्घाटन किया गया है। इसमें सृष्टि खंड, भूमि खंड और उसके बाद स्वर्ग खण्ड महत्वपूर्ण अध्याय है। फिर ब्रह्म खण्ड और उत्तर खण्ड के साथ क्रिया योग सार भी दिया गया है। इसमें अनेक बातें ऐसी हैं जो अन्य पुराणों में भी किसी-न-किसी रूप में मिल जाती हैं। किन्तु पदम पुराण में विष्णु के महत्व के साथ शंकर की अनेक कथाओं को भी लिया गया है। शंकर का विवाह और उसके उपरान्त अन्य ऋषि-मुनियों के कथानक तत्व विवेचन के लिए महत्वपूर्ण है।<ref>{{cite web |url= http://pustak.org/bs/home.php?bookid=3563|title= पदम पुराण|accessmonthday=[[३ सितंबर]]|accessyear=[[२००८]]|format= पीएचपी|publisher= भारतीय साहित्य संग्रह|language=}}</ref>