"महाभारत": अवतरणों में अंतर

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{{मुख्य|महाभारत का रचना काल}}
[[चित्र:Ugrasrava and Saunaka.jpg|thumb|right|325px|[[सूत]] जी द्वारा महाभारत ऋषि मुनियो को सुनाना।]]
'''[[वेदव्यास]]''' जी को [[महाभारत]] पूरा रचने में ३ वर्ष लग गये थे, इसका कारण यह हो सकता है कि उस समय लेखन [[लिपि]] [[कला]] का इतना विकास नही हुआ था, उस काल में [[ऋषि|ऋषियों]] द्वारा [[वैदिक साहित्य|वैदिक ग्रन्थों]] को पीढ़ी दर पीढ़ी [[मौखिक]] रुप से याद करके सुरक्षित रखा जाता था। उस समय [[संस्कृत]] [[ऋषि|ऋषियों]] की भाषा थी और [[ब्राह्मी]] आम बोलचाल की भाषा हुआ करती थी। <ref>:'''राजवद् रुप्वेषौ ते ब्राह्मी वाचं विभर्षि च|
:'''को नाम त्वं कुत च असि कस्य पुत्र च शंस मे॥'''(महाभारत आदिपर्व ८१/१३)</ref> इस प्रकार [[ऋषि|ऋषियों]] द्वारा सम्पूर्ण [[वैदिक साहित्य]] मौखिक रुप से याद कर पीढ़ी दर पीढ़ी सहस्त्रों वर्षों तक याद रखा गया। फिर धीरे धीरे जब समय के प्रभाव से वैदिक युग के पतन के साथ ही [[ऋषि|ऋषियों]] की [[वैदिक साहित्य|वैदिक साहित्यों]] को याद रखने की शैली लुप्त हो गयी तब से [[वैदिक साहित्य]] को [[पाण्डुलिपियो|पाण्डुलिपियों]] पर लिखकर सुरक्षित रखने का प्रचलन हो गया। यह सर्वमान्य है कि महाभारत का आधुनिक रुप कई अवस्थाओं से गुजर कर बना है। <ref>रामायण-महाभारत: काल, इतिहास, सिद्धान्त-लेखक वासुदेव पोद्दार</ref> विद्वानों द्वारा इसकी रचना की चार प्रारम्भिक अवस्थाएं पहचानी गयी हैं। ये अवस्थाएं संभावित रचना काल क्रम में निम्न लिखित हैं:
[[चित्र:Snakesacrifice.jpg|thumb|right|150px|[[जनमेजय]] के सर्प यज्ञ समारोह पर [[वैशम्पायन]] जी ऋषि मुनियों को महाभारत सुनाते हुए]]
===प्रारम्भिक चार अवस्थाएं ===