"मार्कण्डेय पुराण": अवतरणों में अंतर

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==मार्कण्डेय पुराण की संक्षिप्त जानकारी==
ब्रह्माजी कहते है-- मुने! अब मै तुम्हे मारकण्डेयइस पुराण का परिचय देता हूँ। यह पुराण पढने और सुनने वालों के लिये हमेशा पुण्यदायी है। इसके अन्दर पक्षियों को प्रवचन का अधिकारी बनाकर उनके द्वारा सब धर्मों का निरूपण किया गया है। यह मारकण्डेयमार्कण्डेय पुराण नौ हजार श्लोकों का संग्रह है। इसमे कहा जाता हैमें कि पहले मार्कण्डेयजी के समीप जैमिनि का प्रवचन है। फ़िर धर्म संज्ञम पक्षियों की कथा कही गयी है। फ़िर उनके पूर्व जन्म की कथा और देवराज इन्द्र के कारण उन्हे शापरूप विकार की प्राप्ति का कथन है,तदनन्तर बलभद्रजी की तीर्थ यात्रा,द्रौपदी के पांचों पुत्रों की कथा,राजा हरिश्चन्द्र की पुण्यमयी कथा,आडी और बक पक्षियों का युद्ध,पिता और पुत्र का आख्यान,दत्तात्रेयजी की कथा,महान आख्यान सहित हैहय चरित्र,अलर्क चरित्र, मदालसा की कथा,नौ प्रकार की सृष्टि का पुण्यमयी वर्णन,कल्पान्तकाल का निर्देश,यक्ष-सृष्टि निरूपण,रुद्र आदि की सृष्टि,द्वीपचर्या का वर्णन,मनुओं की अनेक पापनाशक कथाओं का कीर्तन और उन्ही मे दुर्गाजी की अत्यन्त पुण्यदायिनी कथा है। जो आठवें मनवन्तर के प्रसंग में में कही गयी है। तत्पश्चात तीन वेदों के तेज से प्रणव की उत्पत्ति सूर्य देव की जन्म की कथा,उनका माहात्मय वैवस्त मनु के वंश का वर्णन,वत्सप्री का चरित्र, तदनन्तर महात्मा खनित्र की पुण्यमयी कथा,राजा अविक्षित का चरित्र किमिक्च्छिक व्रत का वर्णन,नरिष्यन्त चरित्र,इक्ष्वाकु चरित्र,नल चरित्र,श्री रामचन्द्र के उत्तम कथा,कुश के वंश का वर्णन,सोमवंश का वर्णन,पुरुरुवा की पुण्यमयी कथा,राजा नहुष का अद्भुत वृतांत,ययाति का पवित्र चरित्र,यदुवंश का वर्णन,श्रीकृष्ण की बाललीला,उनकी मथुरा द्वारका की लीलायें,सब अवतारों की कथा,सांख्यमत का वर्णन,प्रपंच के मिथ्यावाद का वर्णन,मार्कण्डेयजी का चरित्र,तथा पुराणा श्रवण आदि का फ़ल यह सब विषय मार्कण्डेय पुराण में बताये गये है।
 
 
==संदर्भ==