"पद्म पुराण": अवतरणों में अंतर
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==विस्तार==
सम्पूर्ण 'ब्रह्म पुराण' में दो सौ छियालीस अध्याय हैं। इसकी [[श्लोक]] संख्या लगभग चौदह हजार है। इस पुराण की कथा लोमहर्षण सूत जी एवं शौनक ऋषियों के संवाद के माध्यम से वर्णित है।
'सूर्य वंश' के वर्णन के उपरान्त '[[चन्द्र वंश]]' का विस्तार से वर्णन है। इसमें श्री[[कृष्ण]] के अलौकिक चरित्र का विशेष महत्त्व दर्शाया गया है। यहीं पर
==विषय वस्तु==
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