"विटामिन सी": अवतरणों में अंतर

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==अभाव==
[[File:Ambersweet_oranges.jpg|thumb|200px|[[संतरा]] विटामिन सी का अच्छा स्रोत है]]
विटामिन सी के अभाव में शरीर में दूषित कीटाणुओं की वृद्धि हो सकती है। इसके कारण आंखों में [[मोतिया बिन्द]], खाया हुआ खाना शरीर में पोषण नहीं कर पाना व घाव में मवाद बढ़ना, छडियां कमजोर होना, चिड़चिड़ा स्वभाव, खून का बहना, मसूडों से खून व मवाद बहना, [[पक्षाघात]] हो जाना, रक्त विकार, मुंह से बदबू आना, [[पाचन क्रिया]] में दोष उत्पन्न होना, श्वेत प्रदर, [[संधि शोथ]] व दर्द, पुटठों की कमजोरी, भूख न लगना, सांस कठिनाई से आना, [[चर्म रोग]], [[गर्भपात]], रक्ताल्पता आदि हो सकते हैं। इनके अलावा [[अल्सर]] का फ़ोडा, चेहरे पर दाग पड जाना, फ़ेफ़डे कमजोर पड़ जाना, [[जुकाम]] होना, आंख, कान व नाक के रोग, [[एलर्जी]] होना इत्यादि होने की संभावना रहती है।
 
==स्रोत==
खट्टे रसदार फल जैसे [[आंवला]], [[नारंगी]], [[नींबू]], [[संतरा]], [[अंगूर]], [[टमाटर]], आदि एवं [[अमरूद]], [[सेब]], [[केला]], [[बेर]], [[बिल्व]], [[कटहल]], [[शलगम]], [[पुदीना]], [[मूली|मूली के पत्ते]], [[अंगूर|मुनक्का]], [[दूध]], [[चुकंदर]], [[चौलाई]], [[बंदगोभी]], [[धनिया|हरा धनिया]], और [[पालक]] विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं। इसके अलावा दालें भी विटामिन सी का स्रोत होती हैं। असल में सूखी अवस्था में दालों में विटामिन सी नहीं होता लेकिन भीगने के बाद ये अच्छी मात्रा में प्रकट हो जाता है।<ref>[http://sushmakaul.wordpress.com/2008/04/14/%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%82/ दालें]-सुष्मा कौल। वर्ल्ड प्रेस</ref>