"हलायुध": अवतरणों में अंतर
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'''हलायुध'''
भट्ठ हलायुध के [[शब्दकोश|कोश[[ का नाम '''अभिधानरत्नमाला''' है, पर 'हलायुधकोश' नाम से यह अधिक प्रसिद्ध है । इसके पाँच कांड (स्वर, भूमि, पाताल, सामान्य और अनेकार्थ ) हैं । प्रथम चार पर्यायवाची कांड हैं, पंचम में अनेकार्थक तथा अव्ययशब्द संगृहीत है । इसमें पूर्वकोशकारों के रूप में अमरदत्त, वरुरुचि, भागुरि और वोपालित के नाम उद्धृत है । रूपभेद से लिंग-बोधन की प्रक्रिया अपनाई गई है । ९०० श्लोकों के इस ग्रंथ पर [[अमरकोश]] का पर्याप्त प्रभाव जान पड़ता है । 'कविरहस्य' भी इनका रचित है जिसमें 'हलायुध' ने धातुओं के लट्लकार के भिन्न भिन्न रूपों का विशदीकरण भी किया है ।
==इन्हें भी देखें==
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