"सारावली": अवतरणों में अंतर

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[[कल्याण वर्मा]] द्वारा रचित सारावली मे [[ज्योतिष]] का जो रूप प्रस्तुत किया गया है,उसके द्वारा हमें पूर्ण रूप से भूत काल वर्तमान काल और भविष्य काल का ज्ञान करने मे कोई परेशानी नही होती है.[[ज्योतिष]] की जानकारी के लिये सारावली मे [[कल्याण वर्मा]] ने जो कथन अपनी लेखनी से संवत १२४५ मे (आज से ८२० साल पहले) किया था,वह आज भी देश काल और परिस्थिति के अनुसार शत प्रतिशत खरा उतरता है.इनके द्वारा लिखे गये ग्रंथ सारावली मे ५४ अध्यायों जो भी [[ज्योतिष]] मे है,सब कुछ लिख दिया गया है,और जो लिखा है वह ऐसा लगता है कि वह भी आज को ही देख्कर लिखा गया है, भले ही यह सारावली अन्य देश,काल,और परिस्थिति के अनुरूप सही मिले,पर भारतीय परिस्थितियों मे यह पूरी तरह से [[फ़लादेश]] करने पर सही उतरता है.इस ग्रंथ में हर [[वैदिक]] ग्रंथ की तरह पहले अध्याय में [[मंगलाचरण]] का समावेश किया गया है और दूसरे अध्याय से [[ज्योतिष]] की हर राह को बताया गया है.इनके द्वारा लिखी गई सारावली का सूक्ष्म विवरण इस प्रकार से है:-
*१.[[मंगलाचरण]]