"संयुक्त निकाय": अवतरणों में अंतर

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==समाथक वग्ग==
 
1. देवता संयुत्त - देवताओं को दिए गए उपदेश।
1. देवता संयुत्त - देवताओं को दिए गए उपदेश। 2. देवपुत्त संयुत्त - देवपुत्रों को दिए गए उपदेश। अट्ठकथा के अनुसार प्रकट देव देवता कहलाते हैं और अप्रकट देव देवपुत्र कहलाते हैं। 3. कोसल संयुत्त - प्रसनेजित् के विषय में है। इसमें प्रसेनजित् और अजातशत्रु के बीच हुई लड़ाई का भी उल्लेख है। 4. मार संयुत्त - भगवान् और शिष्यों की मारविजय इसका विषय है। बुद्धत्व के बाद भी मार भगवान् को विचलित करने के प्रयत्न में रहता है। 5. भिक्खुणी संयुत्त - वजिरा, उप्पलवग्गा आदि दस भिक्षुणियों की मारविजय और तत्संबंधी उनके उदान। 6. ब्रह्म संयुत्त - संहपति आदि ब्रह्मों को दिए गए उपदेश। देवदत्त के अनुयायी कोकालिय की दुर्गति का भी उल्लेख इसमें है। 7. ब्राह्मण संयुत्त - संहपति आदि ब्रह्मां को दिए गए उपदेश। देवदत्त के अनुयायी कोकिलिय की दुर्गति का भी उल्लेख इसमें है। 7. ब्राह्मण संयुत्त - ब्राह्मणों को दिए गए उपदेश। 8. वंगीस संयुत्त - प्रतिभावान् वंगीस द्वारा वासनाओं पर विजय। 9. वन संयुत्त - वनवासी भिक्षुओं को दिए गए उपदेश। 10. यक्ख संयुत्त - सूचिलोम आदि यक्षों को दिए गए उपदेश। तथागत की शिक्षाओं से वे भी विनीत बने। 11. सक्क संयुत्त - देवराज शक्र की सज्जनता का प्रशंसा। पुण्य के फलस्वरूप शक्रपद की प्राप्ति। देवासुर संग्राम की कथा।
 
2. देवपुत्त संयुत्त - देवपुत्रों को दिए गए उपदेश। अट्ठकथा के अनुसार प्रकट देव देवता कहलाते हैं और अप्रकट देव देवपुत्र कहलाते हैं।
 
3. कोसल संयुत्त - प्रसनेजित् के विषय में है। इसमें प्रसेनजित् और अजातशत्रु के बीच हुई लड़ाई का भी उल्लेख है।
 
4. मार संयुत्त - भगवान् और शिष्यों की मारविजय इसका विषय है। बुद्धत्व के बाद भी मार भगवान् को विचलित करने के प्रयत्न में रहता है।
 
5. भिक्खुणी संयुत्त - वजिरा, उप्पलवग्गा आदि दस भिक्षुणियों की मारविजय और तत्संबंधी उनके उदान।
 
6. ब्रह्म संयुत्त - संहपति आदि ब्रह्मों को दिए गए उपदेश। देवदत्त के अनुयायी कोकालिय की दुर्गति का भी उल्लेख इसमें है।
 
7. ब्राह्मण संयुत्त - संहपति आदि ब्रह्मां को दिए गए उपदेश। देवदत्त के अनुयायी कोकिलिय की दुर्गति का भी उल्लेख इसमें है।
 
8. वंगीस संयुत्त - प्रतिभावान् वंगीस द्वारा वासनाओं पर विजय।
 
9. वन संयुत्त - वनवासी भिक्षुओं को दिए गए उपदेश।
 
10. यक्ख संयुत्त - सूचिलोम आदि यक्षों को दिए गए उपदेश। तथागत की शिक्षाओं से वे भी विनीत बने।
 
11. सक्क संयुत्त - देवराज शक्र की सज्जनता का प्रशंसा। पुण्य के फलस्वरूप शक्रपद की प्राप्ति। देवासुर संग्राम की कथा।
 
12. ब्राह्मण संयुत्त - ब्राह्मणों को दिए गए उपदेश।
 
==निदान वग्ग==