"स्कैंडिनेवियाई भाषाएँ": अवतरणों में अंतर
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[[Image:Nordiska språk.PNG|thumb|right|250px|'''स्कैंडिनेवियाई भाषाएँ'''<br/> ''महाद्वीपीय स्कैंडिनेवियाई भाषाएँ (Continental Scandinavian languages):'' {{legend|#6262ff|डैनिश (Danish)}} {{legend|#0000ff|नार्वेजियन (Norwegian)}}
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''द्वीपीय स्कैंडिनेवियाई भाषाएँ (Insular Scandinavian languages):''
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अगर भारतीय भाषाओं के बारे में यह कहा जाता है कि वह भारोपीय भाषापरिवार के दक्षिणपूर्वी भाग में उत्पन्न हुई है तो नॉर्डिक या '''स्कैंडिनेवियाई भाषाओं''' के लिए यह कहना उचित होगा कि वह उसके विपरीत भाग अर्थात् उत्तरपश्चिम से आई हैं। नॉर्डिक भाषाएँ जर्मन भाषासमुदाय से संबंधित हैं और तदनुसार जर्मन उमलाउट इन भाषाओं में भी पाए जाते हैं। प्रथम शताब्दी में नॉर्डिक भाषाओं ने पृथक् होकर अपना नया समुदाय बनाया। पुराने 24 अक्षरों की वर्णमाला में लिखे हुए शिलालेख, फिनलैंड और लैपलैंड की भाषाओं में उधार लिए गए हुए और अनेक शताब्दियों तक बिना परिवर्तन के रक्षित शब्द, सीजर और टॅकिटस जैसे प्राचीन प्रसिद्ध लेखकों द्वारा दिए हुए निर्देश आदि, इन सबसे यह समझा जाता है कि उस वक्त संपूर्ण नॉर्डिक क्षेत्र में, अर्थात् डेन्मार्क और स्कैंडिनेविया के प्रायद्वीप में एक ही भाषा बोली जाती थी। यह भाषा तब पुरानी जर्मन भाषा के समान थी लेकिन छठी शताब्दी के बाद उसमें बहुत परिवर्तन हुआ और वह अंशत: पश्चिम जर्मन तथा कुछ अंश तक पूर्वी जर्मन - जिसमें चौथी शताब्दी में लिखे हुए साहित्य की भाषा गोथिक सबसे प्रधान है-भाषासमुदाय से अलग हुई। वाइकिंग लोगों के समय में (800-1000 ई.) नॉर्डिक भाषा के दो प्रधान विभाग किए गए - पश्चिमी नार्डिक (प्राचीन नॉर्वेजिअन और प्राचीन आइसलैंडिक) तथा पूर्वी नॉर्डिक (प्राचीन स्वीडिश और प्राचीन डेनिश)। बारहवीं शताब्दी में लिखे हुए साहित्य के अंश (लैटिन अक्षरों में लिखे हुए चर्मपत्र) आज प्राप्त हैं। किंतु पूर्वी नॉर्डिक साहित्य के अवशेष सौ साल बाद के हैं।
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