"जयदेव" के अवतरणों में अंतर
→परिचय एवं प्रशंसा
==परिचय एवं प्रशंसा==
जयदेव ने ‘गीत गोविन्द’ के माध्यम से, राधाकृष्ण वैष्णव धर्म का प्रचार किया। इसलिए ‘गीत गोविन्द’ को वैष्णव साधना में भक्तिरस का शास्त्र कहा गया है। जयदेव ने ‘गीत गोविन्द’ के माध्यम से उस समय के समाज को, जो शंकराचार्य के सिद्धांत के अनुरूप आत्मा और मायावाद में उलझा हुआ था, राधाकृष्ण की रसयुक्त लीलाओं की भावुकता और सरसता से जन-जन के हृदय को आनंदविभोर किया। जयदेव का जन्म वीरभूमि के केन्दुबिल्वगांव में हुआ। यह वैष्णव तीर्थयात्रियों के लिए, पश्चिम बंगाल में, आज भी एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थान है। यहां वार्षिक मेला लगता है जिसमें वैष्णव संतों, साधकों और महंतों का समागम होता है।
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