"जैन धर्म में ॐ चिह्न": अवतरणों में अंतर
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आशीष भटनागर (वार्ता | योगदान) नया पृष्ठ: right|thumb|200px|जैन ॐ चिन्ह <center>अरहंता असरीरा आइरिया तह उवज्झय... |
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<center>अरहंता असरीरा आइरिया तह उवज्झया मुणिणो।
पढमक्खरणिप्पणो ओंकारो पंचपरमेट्ठी।।</center>
जैनागम में अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु यानी मुनि रूप पाँच परमेष्ठी ही आराध्य माने गए हैं। इनके आद्य अक्षरों को परस्पर मिलाने पर ‘ओम्’/‘ओं’ बन जाता है। यथा, इनमें से प्रथम परमेष्ठी ‘अरिहन्त’ या ‘अर्हन्त’ का प्रथम अक्षर ‘अ’ को लिया जाता है। द्वितीय परमेष्ठी ‘सिद्ध’ है, जो शरीर रहित होने से ‘अशरीरी’ कहलाते हैं। अत: ‘अशरीरी’ के प्रथम अक्षर ‘अ’ को अरिहन्त’ के ‘अ’ से मिलाने पर अ+अ=‘आ’ बन जाता है।
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* चूँकि ‘जैन’ शब्द में ‘ज’ के ऊपर ‘ऐ’ संबंधी दो मात्राएँ होती हैं। अत: उसके ऊपर प्रथम मात्रा के प्रतीक स्वरूप पहले चन्द्रबिन्दु बनाएँ-
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