"तृतीया": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
आशीष भटनागर (वार्ता | योगदान) |
छो साँचा {{आधार}} |
||
पंक्ति 1:
{{आधार}}
हिंदू [[पंचांग]] की तीसरी [[तिथि]] को पंचमी कहते हैं। यह तिथि [[मास]] में दो बार आती है। [[पूर्णिमा]] के बाद और [[अमावस्या]] के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली तृतीया को [[कृष्ण पक्ष]] की तृतीया और अमावस्या के बाद आने वाली तृतीया को [[शुक्ल पक्ष]] की तृतीया कहते हैं।
|