"सफ़दर हाशमी": अवतरणों में अंतर

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सफदर हिंदुस्तान की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी 'भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी)' के सदस्य थे। १९७९ में उन्होने अपनी कॉमरेड और सह नुक्कड़ कर्मी 'मल्यश्री हाशमी' से शादी कर ली। बाद में उन्होने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया और इक्रोमिक्स टाइम्स के साथ पत्रकार के रूप में काम किया, वे दिल्ली में पश्चिम बंगाल सरकार के 'प्रेस इंफोरमेशन ऑफिसर' के रूप में भी तैनात रहे। १९८४ में उन्होने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और खुद का पूरा समय राजनैतिक सक्रियता को समर्पित कर दिया।
सफदर ने दो बेहतरीन नाटक तैयार करने में अपना सहयोग दिया, मक्सिम गोर्की के नाटक पर आधारित 'दुश्मन' और प्रेमचंद की कहानी 'मोटेराम के सत्याग्रह' पर आधारित नाटक जिसे उन्होने हबीब तनवीर के साथ १९८८ में तैयार किया था। इसके अलावा उन्होने बहुत से गीतों, एक टेलीवीज़न धारावाहिक, कविताओं, बच्चों के नाटक, और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों की अमोल विरासत हमें सौंपी। रैडिकल और पॉपुलर वामपंथी कला के प्रति अपनी कटिबद्धता के बावजूद उन्होने कभी भी इसे व्यर्थ की बौद्धिकत्ता का शिकार नहीं बनने दिया और निर्भीकतापूर्वक प्रयोगों में भी जुटे रहे।
[[Image:Safdar hashmi.jpg|thumb | left | 300px | Funeral procession of Safdar Hashmi]]
१ जनवरी १९८९ को जबदिल्ली से सटे साहिबाबाद के झंडापुर गांव में गाजियाबाद नगरपालिका चुनाव के दौरान नुक्कड़ नाटक 'हल्ला बोल' का प्रदर्शन किया जा रहा था तभी जनम के ग्रुप पर कांग्रेस(आई) से जुड़े कुछ गुंडो ने हमला कर दिया। इस हमले में सफदर बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। उसी रात को सिर में लगी भयानक चोटों की वजह से सफदर की मृत्यु हो गई। 'रामबहादुर' नामक एक नेपाली मजदूर की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसने जनम के सदस्यों को आश्रय देने का दुस्साहस किया था। दो दिन बाद, ४ जनवरी १९८९ को मल्यश्री हाशमी, जनम गु्रप के साथ उस स्थान पर वापिस लौटीं और अधूरे छूट गए नाटक को खत्म किया।
इस घटना के १४ साल बाद गाजियाबाद की एक अदालत ने १० लोगों को हत्या के मामले में आरोपी करार दिया, इसमें कांग्रेस पार्टी के सदस्य 'मुकेश शर्मा' का भी नाम शामिल था।