"ब्रह्म समाज": अवतरणों में अंतर

छो {{आधार}}
पंक्ति 1:
{{आधार}}'''ब्रह्म समाज''', [[राजा राम मोहन राय]] द्वारा स्थापित हिन्दू सुधार आन्दोलन था। ब्रह्मसमाज उस आध्यात्मिक आंदोलन की कहानी है जो 19वीं शताब्दी के नवजाग्रत भारत की विशेषता थी। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता की सर्वव्यापी भावना का सूत्रपात किया एवं जनसाधारण के बौद्धिक, सामाजिक तथा धार्मिक जीवन को नवीन रूप प्रदान किया। वस्तुत: ब्रह्मसमाज के विश्वासों एवं सिद्धांतों ने न केवल विगत वर्षों में भारतीय विचारधारा को ही नवीन मोड़ दिया, अपितु भारतीय राष्ट्रीय एकीकरण, अंतरराष्ट्रीयता एवं मानवता के उदय की भी अभिवृद्धि की।
 
==इतिहास==
पंक्ति 23:
 
इस प्रकार ब्रह्मसमाज अथवा निरंतररोद्विकासी धर्मसंश्लेषण हमें अपेक्षाकृत कम समय में एक ब्रह्म, एक विश्व तथा एक मानवता के वांछित लक्ष्य के निकट पहुँचाने में समर्थ हो सकता है।
 
 
==स्थापना==
Line 35 ⟶ 34:
५ब्रह्म समाज के विशावासो के अनुसार ईश्वर सभी सत्ताओ का स्रोत है ,व्यर्थ के दार्शनिक वाद्विवादों ,रीतिरीव्जो ,धयं योग का कोई स्थान नही है <br />
६ यह एक मान्वात्वादी धर्म था जिसमे मनुष्य जाति सबसे महत्वपूर्ण थी ,मानवता ही सबसे बड़ा धर्म था<br />
७ ब्रह्म समाज उपनिषदों के ब्रह्म से प्रभावित था एक ईश्वर का समर्थक ,मूर्तिपोजा ,पुजारी पंठो , धार्मिक अन्धविश्वासों तथा प्रथाओ का विरोधी थे <br />
 
 
== सामाजिक विचार ==
Line 43 ⟶ 41:
 
== सामाजिक योगदान ==
[[शब्द कौमुदी]] का सम्पादन-प्रकाशन कर [[सती प्रथा]] के विरोध मे जनमत तैयार किया इसी लक्ष्य हेतु ब्रिटिश सरकार को प्रथान पत्र दिया जिसके चलते 1829 का सती प्रथा निरोधक क़ानून बना यह सामाजिक विधि का प्रारम्भ था <br />
 
==स्थान==
Line 69 ⟶ 67:
[[fr:Brahmo Samaj]]
[[id:Brahmo Samaj]]
[[nl:Brahmo Samaj]]
[[ja:ブラフモ・サマージ]]
[[ko:브라마 사마지]]
[[nl:Brahmo Samaj]]
[[pl:Brahmo Samadź]]
[[ru:Брахмо-самадж]]