"भाग्यवती उपन्यास": अवतरणों में अंतर

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'''भाग्यवती''' पण्डित [[श्रद्धाराम फिल्लौरी]] द्वारा रचित [[हिन्दी]] उपन्यास है। इसकी रचना सन् १८८७ में हुई थी। इसे हिन्दी का प्रथम् [[उपन्यास]] होने का गौरव प्राप्त है। इसकी रचना मुख्यत: [[अमृतसर]] में हुई थी और सन् १८८८ में यह प्रकाशित हुआ। इस उपन्यास की पहली समीक्षा अप्रैल 1887 में हिन्दी की मासिक पत्रिका [[प्रदीप]] में प्रकाशित हुई थी। इसे [[पंजाब]] सहित देश के कई राज्यो के स्कूलों में कई सालों तक पढाया जाता रहा। इस उपन्यास में उन्होंने [[काशी]] के एक पंडित उमादत्त की बेटी भगवती के किरदार के माध्यम से [[बाल विवाह]] पर ज़बर्दस्त चोट की। इसी इस उपन्यास में उन्होंने भारतीय स्त्री की दशा और उसके अधिकारों को लेकर क्रांतिकारी विचार प्रस्तुत किए।