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हमारे पर्व-त्योहार हिन्दी तिथियों के अनुसार ही होते हैं, इसके पीछे एक विशेष कारण है। पर्व-त्योहारों में किसी विशेष देवता की पूजा की जाती है। अतः स्वाभाविक है कि वे जिस तिथि के अधिपति हों, उसी तिथि में उनकी पूजा हो। यही कारण है कि उस विशेष तिथि को ही उस विशिष्ट देवता की पूजा की जाए। तिथियों के स्वामी संबंधी वर्णन निम्न है :
3 तृतीया- चूँकि गौरी इसकी स्वामिनी है, अतः उनका सबसे महत्वपूर्ण व्रत हरितालिका तीज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही महिलाएँ करती हैं।
हमारे पर्व-त्योहार हिन्दी तिथियों के अनुसार ही होते हैं, इसके पीछे एक विशेष कारण है। पर्व-त्योहारों में किसी विशेष देवता की पूजा की जाती है। अतः स्वाभाविक है कि वे जिस तिथि के अधिपति हों, उसी तिथि में उनकी पूजा हो।
4 चतुर्थी- गणेश या विनायक चतुर्थी सर्वत्र विख्यात है। यह इसलिए चतुर्थी को ही होती है, क्योंकि चतुर्थी के देवता गणेश हैं।
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