"द्वयाधारी संख्या पद्धति": अवतरणों में अंतर
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'''द्वयाधारी संख्या पद्धति''' (binary numeral system) केवल दो [[अंक|अंकों]] ('''०''' तथा '''१''') को काम में लेने वाली संख्या पद्धति है जिसमें स्थानीय मान निकालने का आधार '''२''' लिया जाता है। चूंकि दो स्थिति वाले इलेक्ट्रानिक गेट इन संख्याओं को बड़ी सरलता से निरूपित कर देते हैं, इस कारण [[कम्प्यूटर]] के हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर में इस पद्धति का बहुतायत से प्रयोग होता है।बाइनरी पद्धति दो अंकों मात्र '''०''' तथा '''१''' के द्वारा सभी शब्दों को पढ़ती है। आमतौर पर दशमलव पद्धति में जहां दस अंकों का प्रयोग होता है, वहीं द्वयाधारी में केवल ये दो अंक ही प्रयोग में आते हैं। इसलिए कंप्यूटर में इन्हीं दो अंकों के द्वारा सभी काम होता है। पहला शब्द ० से इंगित होता है जिसका अर्थ है करंट का अभाव, व दूसरा १, यानि करंट की उपस्थिति। दशमलब पद्धति का १ नंबर बाइनरी पद्धति में भी १ से ही इंगित होता है।
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द्वयाधारी संख्याओं को दशमलव नंबरों में बदलने के गणितीय तरीके होते हैं। इसके तहत कई गणितीय उपकरण हैं जिनसे द्वयाधारी सहित अन्य विधियों में जमा, घटा, गुणा, भाग व अन्य गणितीय आकलन होते हैं। द्वयाधारी नंबरों से दशमलव में अंकों को बदलना जहां जटिल है, वहीं द्वयाधारी को अन्य विधियों में अंतरण करना अपेक्षाकृत सरल होता है।
== बाहरी कड़ियाँ ==
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