"गद्य": अवतरणों में अंतर

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सामान्यत: मनुष्य की बोलने या लिखने पढ़ने की [[छंद]]रहित साधारण व्यवहार की [[भाषा]] को '''गद्य''' (prose0 कहा जाता है। इसमें केवल आंशिक सत्य है क्योंकि इसमें गद्यकार के रचनात्मक बोध की अवहेलना है। साधारण व्यवहार की भाषा भी गद्य तभी कही जा सकती है जब यह व्यवस्थित और स्पष्ट हो। रचनात्मक प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए गद्य को मनुष्य की साधारण किंतु व्यस्थित भाषा या उसकी विशिष्ट अभिव्यक्ति कहना अधिक समीचीन होगा।
 
== परिचय ==
[[कविता]] और गद्य में बहुत सी बातें समान हैं। दोनों के उपकरण शब्द हैं जो अर्थ परिवर्तन के बिना एक ही भंडार से लिए जाते है; दोनों के [[व्याकरण]] और वाक्यरचना के नियम एक ही हैं (कविता के वाक्यों में कभी कभी शब्दों का स्थानांतरण, वाक्यरचना के आधारभूत नियमों का खंडन नहीं), दोनों ही लय और चित्रमय उक्ति का सहारा लेते हैं। [[वर्डस्वर्थ]] के अनुसार गद्य और पद्य (या कविता) की भाषा में कोई मूलभूत अंतर न तो है और न हो सकता है।
 
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आधुनिक युग में उपन्यास गद्य की विशेष प्रयोगशाला बन गया है। कविता रह रहकर काफी दिनों तक शब्दों के पथ्य पर रहती है, गद्य में नए पुराने, सूखे चिकने सभी प्रकार के शब्दों को पचाने की अद्भुत शक्ति होती है। बोनामी डाब्री (Bonamy Dobree) के अनुसार सारा अच्छा जीवित गद्य प्रयोगात्मक होता है। उपन्यास गद्य की इस क्षमता का पूरा उपयोग कर सकता है। ऐसे प्रयोग इंग्लैंड की अपेक्षा अमरीका में अधिक हुए हैं और विंढम लिविस, हेमिंग्वे, स्टीन, फाकनर, ऐंडर्सन इत्यादि ने अपने प्रयोगों के द्वारा अंग्रेजी गद्य को नया रक्त दिया है। गद्य में तेजी से केंचुल बदलने की शक्ति का अनुमान हिंदी गद्य के तेज विकास से भी किया जा सकता है, हालाँकि उसका इतिहास बहुत पुराना नहीं। भविष्य में गद्य के विकास की और संकेत करते हुए एक अंग्रेज आलोचक मिडिलटन मरी ने लिखा है : गद्य की विस्तार सीमा अनंत है और शायद कविता की उपेक्षा उसकी संभावनाओं की कम खोज हुई है।
 
 
[[श्रेणी:साहित्य]]
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[[be:Проза]]
[[be-x-old:Проза]]
[[bg:Проза]]
[[bo:ཚིག་ལྷུག]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/गद्य" से प्राप्त