"नेपाली भाषाएँ एवं साहित्य": अवतरणों में अंतर

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[[नेपाल]] में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं, जैसे [[किराँती]], [[गुरुंग]], [[तामंग]], [[मगर]], [[नेवारी]], [[गोरखाली]] आदि। [[काठमांडो]] उपत्यका में सदा से बसी हुई नेवार जाति, जो प्रागैतिहासिक गंधर्वों और प्राचीन युग के लिच्छवियों की आधुनिक प्रतिनिधि मानी जा सकती है, अपनी भाषा को '''[[नेपाल भाषा]]''' कहती रही है जिसे बोलनेबालों की संख्या उपत्यका में लगभग 65 प्रतिशत है। नेपाली, [[हिंदी]] तथा [[अंग्रेजी]] भाषाओं में प्रकाशित समाचार पत्रों के ही समान [[नेवारी भाषा]] के दैनिक पत्र का भी प्रकाशन होता है, तथापि आज नेपाल की सर्वमान्य राष्ट्रभाषा [[नेपाली]] ही है जिसे पहले परवतिया "गोरखाली" या खस-कुरा (खस सं. कश्यप; कुराउ सं. काकली) भी कहते थे।
 
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पहले नेपाली भाषा पर संस्कृत का बहुत प्रभाव था। इधर कुछ दिनों से राष्ट्रीयता के प्रभाव से झर्रोवाद का नारा भाषा के संबंध में उठ खड़ा हुआ है। इस वाद के समर्थक प्रो. तारानाथ शर्मा अपने को शर्मा न लिखकर सर्मा लिखते हैं और प्रोफेसर बालकृष्ण पोरवरेल "पोस्तक" लिखते हैं। किंतु नेपाली भाषा विकास में इस वाद से जो अनिष्ट संभाव्य है उसे वहाँ के सुधी जन जानते हैं।
 
 
==साहित्य ==
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*[http://www.bangladeshinovels.com/Nepali%20Literature.pdf A Bangla Article on Nepali Literature]
*[http://www.shrijana.com Nepali Literature Website Collections of Nepali poems, articles, stories]
 
 
[[श्रेणी:भाषा]]