"परमानंद दास": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 1:
वल्लभ संप्रदाय ([[पुष्टिमार्ग]]) के आठ कवियों ([[अष्टछाप]] कवि) में एक । जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया
पंक्ति 7:
[[सूरदास]]
[[कुंभन दास]]
पंक्ति 34:
‘परमानंद दास’ यह मांगत, नित निरखों कबहूं न अघाऊं ॥३॥
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आज दधि मीठो मदन गोपाल ।
पंक्ति 50:
परमानंद प्रभु इन जानत हों, तुम त्रिभुवन के भूप॥
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माई मीठे हरि जू के बोलना ।
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