"पूर्ण प्रतियोगिता": अवतरणों में अंतर

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'''पूर्ण प्रतियोगिता''' बाजार के उस रूप का नाम है जिसमें विक्रेताओं की संख्या की कोइ सीमा नहीं होती। फ़लतः कोइ भी एक उत्पादक (विक्रेता) बाजार में वस्तु की कीमत पर प्रभाव नहीं डाल सकता। अर्थशास्त्र में [[बाजार]] को मुख्त्यः दो रूपों में बांटा जाता है: पूर्ण प्रतियोगिता और अपूर्ण प्रतियोगिता। बाजार संरचना के दो चरम बिन्दुओं पर पूर्ण प्रतियोगिता और [[एकाधिकार]] हैं।
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३. प्रत्येक उत्पादक बाजार में उप्लब्ध उत्पादन तकनीक तक पहुंच रखता है।<br />
४. किसी भी नये उत्पादक के बाजार में आने पर अथवा बाजार में उपस्थित किसी उत्पादक के बाजार से निकलने पर कोइ रोक टोक नहीं है।<br />
५. बाजार में विद्यमान प्रत्येक क्रेता और विक्रेता को बाजार का पूर्ण ग्यान है।<br />
 
यद्यपि पूर्ण प्रतियोगिता व्यावहारिक जीवन में सम्भव नहीं है, पर शेयर बाजार इसकी विशेषताओं की दृष्टि से बहुत पास पहुंच जाता है। कृषि छेत्र (चावल, गेहूं आदि) में भी प्रतियोगिता पूर्ण प्रतियोगिता के समान ही होती है।