"बालविकास": अवतरणों में अंतर

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{{आधार}}[[रूसो]] ने बालकों की तीन अवस्थाओं की कल्पना की थी : शैशवावस्था, जो एक वर्ष से पाँच तक रहती है, बाल्यावस्था जो पाँच वर्ष से 12 वर्ष तक रहती है और किशोरावस्था जो 12 वर्ष से 20 वर्ष तक रहती है। आधुनिक मनोविश्लेषण विज्ञान के विशेषज्ञों ने रूसों की उक्त कल्पना का समर्थन बालक की कामवासना के विकास के आधार पर किया है। मनोविश्लेषण वैज्ञानिक बालक के मानसिक विकास में उसकी ज्ञानात्मक शक्तियों की प्रधानता न मानकर भावों की ही प्रधानता मानते हैं। मनुष्य के भावों के विकस के साथ ही उसकी अन्य मानसिक शक्तियों का विकास होता है। भाव वासना का सहगामी तत्व है। मनुष्य की मूल अथवा मुख्य वासना कामवासना है। अतएव जैसे जैसे उसका विकास होता है वैसे वैसे बालक का मानसिक विकास होता है।
 
मनोविश्लेषकों के कथनानुसार बालक का वासनात्मक विकास पांच वर्ष की अवस्था में ही हो जाता है। इसके बाद उसकी काम वासना अंतर्हित हो जाती है। वह तेरह वर्ष में फिर से जाग्रत होती है और इस बार जाग्रत होकर सदा बढती ही रहती है। इसके कारण बालक का किशोर जीवन बड़े महत्व का होता है। इसके पूर्व के जीवन में बालक का भावात्मक विकास रुक जाता है, परंतु उसका शारीरिक और बौद्धिक विकास जारी रहता है। किशोरावस्था में बालक का सभी प्रकार का विकास पूर्णरूपेण होता है।