"भारत का ध्वज": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो साँचा {{आधार}} |
छो Removing {{आधार}} template using AWB (6839) |
||
पंक्ति 1:
{{आज का आलेख}}{{निर्वाचित लेख परख}}
पंक्ति 14:
| Type = राष्ट्रीय
}}
'''[[भारत]] के राष्ट्रीय ध्वज''' जिसे '''तिरंगा''' भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच एक [[नीला|नीले रंग]] के चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है जिसकी अभिकल्पना [[पिंगली वैंकैया]] ने की थी।<ref name="भास्कर">[http://www.bhaskar.com/spotlight/independenceday/200908150908151602_developement_of_indian_national_flag.html भारतीय तिरंगे का इतिहास]।भास्कर डॉट कॉम।१५ अगस्त, २००९</ref><ref name="Funmunch">{{cite web |url=http://www.funmunch.com/events/india_independence_day/national_flag_of_india.shtml |title=भारत का राष्ट्रीय ध्वज|accessdate=२००६-१०-११|publisher=Funmunch.com}}</ref> इसको [[१५ अगस्त]] [[१९४७]] को अंग्रेजों से [[भारतीय स्वतंत्रता|भारत की स्वतंत्रता]] के कुछ ही दिन पूर्व [[२२ जुलाई]], [[१९४७]] को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया था।<ref name="राष्ट्रीय">[http://bharat.gov.in/knowindia/national_flag.php राष्ट्रीय ध्वज]।भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर</ref> इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ है, जिनमें सबसे ऊपर [[केसरिया रंग
सरकारी झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार झंडा [[खादी]]में ही बनना चाहिए। यह एक विशेष प्रकार से हाथ से काते गए कपड़े से बनता है जो [[महात्मा गांधी]] द्वारा लोकप्रिय हुआ था। इन सभी विशिष्टताओं को व्यापक रूप से भारत में सम्मान दिया जाता हैं<!-- , पर प्रायः देश के बाहर भारतीय झंडे के विनिर्माण में उपेक्षा की जाती हैं --> [[भारतीय ध्वज संहिता]] के द्वारा इसके प्रदर्शन और प्रयोग पर विशेष नियंत्रण हैं। <ref name="NIC">{{cite web|url=http://web.archive.org/web/20060110155908/http://mha.nic.in/nationalflag2002.htm|title=फ़्लैग कोड ऑफ इंडिया|accessdate=११ अक्तूबर, २००६|date=२५ जनवरी, २००६|publisher=[[गृह मंत्रालय, भारत सरकार]]}}</ref> ध्वज का हेराल्डिक वर्णन इस प्रकार से होता है:<br />''Party per fess Saffron and Vert on a fess Argent a "Chakra" Azure.''
Line 23 ⟶ 22:
[[चित्र:02iflag.jpg|right|thumb|१९०७ में [[भीकाजी कामा]] द्वारा फहराया गया [[बर्लिन]] समिति का ध्वज]]
[[चित्र:03iflag.jpg|right|thumb|१९१७ में घरेलू शासन आंदोलन के समय अपनाया गया ध्वज]]
[[चित्र:04iflag.jpg|right|thumb|१९२१ में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान
[[चित्र:05iflag.jpg|right|thumb|१९३१ में स्वीकृत पाँचवें चित्र वाला ध्वज भारतीय राष्ट्रीय सेना का संग्राम चिह्न]]
यह ध्वज भारत की स्वतंत्रता के संग्राम काल में खोजा गया था। १८५७में [[प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|स्वतंत्रता के पहले संग्राम]] के समय भारत राष्ट्र का ध्वज बनाने की योजना बनी थी, लेकिन वह आंदोलन असमय ही समाप्त हो गया था और उसके साथ ही वह योजना भी बीच में ही अटक गई थी। वर्तमान रूप में पहुंचने से पूर्व भारतीय राष्ट्रीय ध्वज अनेक पड़ावों से गुजरा है। इस विकास में यह भारत में राजनैतिक विकास का परिचायक भी है। कुछ ऐतिहासिक पड़ाव इस प्रकार हैं<ref>{{cite web |url= http://bharat.gov.in/myindia/national_flag.php|title= भारतीय तिरंगे का इतिहास |accessmonthday=[[२५ दिसंबर]]|accessyear=[[२००८]]|format=पीएचपी|publisher=भारत सरकार|language=}}</ref> :-
* *'''प्रथम चित्रित''' ध्वज [[१९०४]] में [[स्वामी विवेकानंद]] की शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था।<ref name="तरकश"/>[[७ अगस्त
<br />
*'''द्वितीय ध्वज''' को पेरिस में [[भीकाजी कामा|मैडम कामा]] और [[१९०७]] में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था। कुछ लोगों की मान्यता के अनुसार यह [[१९०५]] में हुआ था। यह भी पहले ध्वज के समान था सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपर की पट्टी पर केवल एक कमल था किंतु सात तारे [[सप्तऋषि|सप्तऋषियों]] को दर्शाते थे। यह ध्वज [[बर्लिन]] में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।<ref name="तरकश">[http://www.tarakash.com/200808151523/Knowledge-Base/90-years-of-indian-national-flag.html भारतीय राष्ट्रध्वज का 90 वर्षों का इतिहास]।तरकश.कॉम।</ref>
Line 50 ⟶ 49:
भारत के राष्ट्रीय ध्वज की ऊपरी पट्टी में [[केसरिया रंग]] है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच की पट्टी का [[श्वेत]] धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है। सफ़ेद पट्टी पर बना चक्र को '''धर्म चक्र''' कहते हैं। इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो [[तृतीय शताब्दी]] ईसा पूर्व [[मौर्य राजवंश|मौर्य सम्राट]] [[अशोक]] द्वारा बनाए गए [[सारनाथ]] मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गतिशील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है।<ref name="भास्कर"/>
भारतीय ध्वज में निम्न अनुमानित रंगों के अंतरण प्रयोग होते हैं।ध्वज में जो [[केसरिया]], [[श्वेत]], [[हरा]] तथा [[नीला]] रंग है वह [[:en:HTML|एचटीएमएल]] [[RGB वर्ण प्रतिरूप|आर.जी.बी]] व [[वेब रंग|वेब रंगों]] में [[हेक्साडेसिमल
{| class="wikitable" style="width:70%;margin-left:auto;margin-right:auto"
Line 124 ⟶ 123:
[[१९५०]] में भारत के [[गणतंत्र]] बनने के उपरांत, [[भारतीय मानक ब्यूरो|भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस)]] ने [[१९५१]] में पहली बार ध्वज की कुछ विशिष्टताएँ बताईं। ये १९६४ में संशोधित की गयीं, जो भारत में [[अंतर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली|मीट्रिक प्रणाली]] के अनुरूप थीं। इन निर्देशों को आगे चलकर [[१७ अगस्त]] [[१९६८]] में संशोधित किया गया। ये दिशा निर्देश अत्यंत कड़े हैं और झंडे के विनिर्माण में कोई दोष एक गंभीर अपराध समझा जाता है, जिसके लिए जुर्माना या जेल या दोनों भी हो सकते हैं। <ref name="KVIC">{{cite news |first =श्याम सुंदर |last =वत्तम|url =http://www।deccanherald।com/deccanherald/jun152004/spt2।asp|archiveurl =http://web।archive।org/web/20060522230211/http://www।deccanherald।com/deccanherald/jun152004/spt2।asp|archivedate=2006-05-22|title =वाय ऑल नेशनल फ़्लैग्स बी मेड इन हुबली? |publisher =डक्कन हेरल्ड |date =१५ जून, २००४|accessdate =2006-10-11}}</ref>
केवल [[
बुनाई पूरी होने के बाद, सामग्री को परीक्षण के लिए बीआईएस प्रयोगशालाओं में भेजा जाता है। कड़े गुणवत्ता परीक्षण करने के बाद, यदि झंडा अनुमोदित हो जाता है तो, उसे कारखाने वापस भेज दिया जाता है। तब उसे प्रक्षालित कर संबंधित रंगों में रंग दिया जाता है। केंद्र में अशोक चक्र को स्क्रीन मुद्रित, स्टेंसिल्ड या काढा जाता है। विशेष ध्यान इस बात को दिया जाना चाहिए कि चक्र अच्छी तरह से मिलता हो और दोनों तरफ ठीक से दिखाई देता हो। बीआईएस झंडे की जांच करता है और तभी वह बेचा जा सकता हैं।<ref name="KVIC"/> भारत में सालाना लगभग चार करोड़ झंडे बिकते हैं। भारत में सबसे बड़ा झंडा {{nowrap|(६१३ × ४१२ मी.)}} राज्य प्रशासनिक मुख्यालय, [[
==ध्वज संहिता==
Line 160 ⟶ 159:
=== सँभालने की विधि ===
[[File:India-flag-horiz-vert.svg|200px|left|झंडे का सही प्रदर्शन]]
झंडे को संभालने और प्रदर्शित करने के अनेक परंपरागत नियमों का पालन करना चाहिए। यदि खुले में झंडा फहराया जा रहा है तो हमेशा [[सूर्योदय]] पर फहराया जाना चाहिए और [[सूर्यास्त
झंडे का चित्रण, प्रदर्शन, उल्टा नहीं हो सकता ना ही इसे उल्टा फहराया जा सकता है। संहिता परंपरा में यह भी बताया गया है कि इसे लंब रूप में लटकाया भी नहीं जा सकता। झंडे को ९० [[अंश]] में घुमाया नहीं जा सकता या उल्टा नहीं किया जा सकता। कोई भी व्यक्ति ध्वज को एक किताब के समान ऊपर से नीचे और बाएँ से दाएँ पढ़ सकता है, यदि इसे घुमाया जाए तो परिणाम भी एक ही होना चाहिए। झंडे को बुरी और गंदी स्थिति में प्रदर्शित करना भी अपमान है। यही नियम ध्वज फहराते समय ध्वज स्तंभों या रस्सियों के लिए है। इन का रखरखाव अच्छा होना चाहिए। <ref name="NIC"/>
Line 171 ⟶ 170:
जब राष्ट्रीय ध्वज किसी कम्पनी में अन्य देशों के ध्वजों के साथ बाहर खुले में फहराया जा रहा हो तो उसके लिए भी अनेक नियमों का पालन करना होगा। उसे हमेशा सम्मान दिया जाना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि झंडा सबसे दाईं ओर (प्रेक्षकों के लिए बाईं ओर) हो। लाटिन वर्णमाला के अनुसार अन्य देशों के झंडे व्यवस्थित होने चाहिए। सभी झंडे लगभग एक ही आकार के होने चाहिए, कोई भी ध्वज भारतीय ध्वज की तुलना में बड़ा नहीं होना चाहिए। प्रत्येक देश का झंडा एक अलग स्तम्भ पर होना चाहिए, किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज एक के ऊपर एक, एक ही स्तम्भ पर फहराना नहीं चाहिए। ऐसे समय में भारतीय ध्वज को शुरू में, अंत में रखा जाए और वर्णक्रम में अन्य देशों के साथ भी रखा जाए। यदि झंडों को गोलाकार में फहराना हो तो राष्ट्रीय ध्वज को चक्र के शुरुआत में रख कर अन्य देशों के झंडे को [[दक्षिणावर्त]] तरीके से रखा जाना चाहिए, जब तक कि कोई ध्वज राष्ट्रीय ध्वज के बगल में न आ जाए। भारत का राष्ट्रीय ध्वज हमेशा पहले फहराया जाना चाहिए और सबसे बाद में उतारा जाना चाहिए।
जब झंडे को गुणा चिह्न के आकार में रखा जाता है तो भारतीय ध्वज को सामने रखना चाहिए और अन्य ध्वजों को दाईं ओर (प्रेक्षकों के लिए बाईं ओर) होना चाहिए। जब [[संयुक्त राष्ट्र
=== गैर राष्ट्रीय झंडों के साथ ===
Line 185 ⟶ 184:
यदि झंडा किसी जुलूस या परेड में अन्य झंडे या झंडों के साथ ले जाया जा रहा है तो, झंडे को जुलूस के दाहीनें ओर या सबसे आगे बीच में रखना चाहिए। झंडा किसी मूर्ति या स्मारक, या पट्टिका के अनावरण के समय एक विशिष्टता को लिए रहता है, पर उसे किसी वस्तु को ढकने के लिए प्रयोग नहीं करना चाहिए। सम्मान के चिह्न के रूप में इसे किसी व्यक्ति या वस्तु को ढंकना नहीं चाहिए। पलटन के रंगों, संगठनात्मक या संस्थागत झंडों को सम्मान के चिह्न रूप में ढका जा सकता है।
[[File:IndiaFlagParade.png|right|170px]]
किसी समारोह में फहराते समय या झंडे को उतारते समय या झंडा किसी परेड से गुजर रहा है या किसी समीक्षा के दौरान, सभी उपस्थित व्यक्तियों को ध्वज का सामना करना चाहिए और ध्यान से खड़े होना चाहिए। वर्दी पहने लोगों को उपयुक्त सलामी प्रस्तुत करना चाहिए। जब झंडा स्तम्भ से गुजर रहा हो तो, लोगों को ध्यान से खड़े होना चाहिए या सलामी देनी चाहिए। एक गणमान्य अतिथि को सिर के पोशाक को छोड़ कर सलामी लेनी चाहिए। झंडा वंदन, [[जन गण मन
=== वाहनों पर प्रदर्शन ===
वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज उड़ान के लिए विशेषाधिकार होते हैं, [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]], [[भारत के उपराष्ट्रपति|उप राष्ट्रपति]],[[भारत के प्रधानमंत्री|
झंडे को विमान पर प्रर्दशित करना चाहिए यदि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर जा रहे हों। राष्ट्रीय ध्वज के साथ, अन्य देश का झंडा जहां वे जा रहें हैं या उस देश का झंडा जहां यात्रा के बीच में विराम के लिए ठहरा जाता है, उस देश के झंडे को भी शिष्टाचार और सद्भावना के संकेत के रूप में प्रवाहित किया जा सकता है। जब राष्ट्रपति भारत के दौरे पर हैं, तो झंडे को पोतारोहण करना होगा जहां से वे चढ़ते या उतरते हैं। जब राष्ट्रपति विशेष रेलगाड़ी से देश के भीतर यात्रा कर रहें हों तो झंडा स्टेशन के प्लेटफार्म का सामना करते हुए चालाक के डिब्बे से लगा रहना चाहिए जहां से ट्रेन चलती हैं। झंडा केवल तभी प्रवाहित किया जाएगा जब विशेष ट्रेन स्थिर है, या जब उस स्टेशन पर आ रही हो जहां उसे रुकना हो। <ref name="NIC"/>
Line 196 ⟶ 194:
[[राष्ट्रीय शोक|शोक]] के समय, राष्ट्रपति के निर्देश पर, उनके द्वारा बताये गए समय तक झंडा [[आधा फहराता ध्वज|आधा प्रवाहित]] होना चाहिए। जब झंडे को आधा झुका कर प्रवाहित करना है तो पहले झंडे को शीर्ष तक बढ़ा कर फिर आधे तक झुकाना चाहिए। सूर्यास्त से पहले या उचित समय पर, झंडा पहले शीर्ष तक बढ़ा कर फिर उसे उतारना चाहिए। केवल भारतीय ध्वज आधा झुका रहेगा जबकि अन्य झंडे सामान्य ऊंचाई पर रहेंगे।
समस्त भारत में [[भारत के राष्ट्रपति|राष्ट्रपति]], [[भारत के उपराष्ट्रपति|उपराष्ट्रपति]], [[भारत के प्रधानमंत्री|प्रधानमंत्रियों]] की मृत्यु पर झंडा आधा झुका रहेगा। [[
[[गणतंत्र दिवस]], [[स्वतंत्रता दिवस]], [[गांधी जयंती]], राष्ट्रीय सप्ताह (६ से १३ अप्रैल), किसी भी राज्य के वर्षगाँठ या राष्ट्रीय आनन्द के दिन, किसी भी अन्य विशेष दिन, [[भारत सरकार]] द्वारा निर्दिष्ट किये गए दिन पर मृतक के आवास को छोड़कर झंडे को आधा झुकाना नहीं चाहिए। यदि शव को शोक की अवधि की समाप्ति से पहले हटा दिया जाता है तो ध्वज को पूर्ण मस्तूल स्थिति में उठाया जाना चाहिए। किसी विदेशी गणमान्य व्यक्तियों की मृत्यु पर गृह मंत्रालय से विशेष निर्देश से राज्य में शोक का पालन किया जाएगा। हालांकि, किसी भी विदेश के प्रमुख, या सरकार के प्रमुख की मृत्यु पर, उस देश के प्रत्यायित भारतीय मिशन उपर्युक्त दिनों में राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकते हैं। राज्य के अवसरों, सेना, केन्द्रीय अर्ध सैनिक बलों की अन्तेय्ष्टि पर, झंडे के भगवा पट्टी को शीर्ष पर रखकर टिकठी या ताबूत को ढक देना चाहिए। ध्वज को कब्र में नीचे नहीं उतारना चाहिए या चिता में जलाना नहीं चाहिए। <ref name="NIC"/>
Line 219 ⟶ 217:
*[http://www.abhivyakti-hindi.org/snibandh/sanskriti/jhanda.htm झंडा ऊँचा रहे हमारा] --सुनीता सिंह गर्ग
*[http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/special09/independenceday2009/0908/12/1090812092_1.htm झंडा फहराने का सही तरीका ]।वेब दुनिया
[[श्रेणी: भारत के राष्ट्रीय प्रतीक]]▼
[[श्रेणी: भारतीय ध्वज]]▼
[[श्रेणी:राष्ट्रध्वज]]▼
{{राष्ट्रीय ध्वज}}
▲[[श्रेणी:राष्ट्रध्वज]]
[[श्रेणी:भारत]]
[[श्रेणी:ध्वज]]
|