"भारत का विभाजन": अवतरणों में अंतर
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हिन्दू और मुसलमान दोनों संप्रदायों के नेताओं ने एक-दूसरे के प्रति शक को बढ़ावा दिया। मुस्लिम लीग ने अगस्त 1946 में [[डायरेक्ट ऐक्शन डे]] मनाया, जिस के दौरान [[कलकत्ता]] में दंगे हुए और करीब 5000 लोग मारे गये और बहुत से घायल हुए। ऐसे माहौल में सभी नेताओं पर दबाव पड़ने लगा कि वे विभाजन को स्वीकार करें ताकि देश पूरी तरह युद्ध की स्थिति में न आ जाए।
भारत के विभाजन के ढांचे को 3 जून प्लान या [[माउंटबैटन प्लान]] का नाम दिया गया। भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमारेखा [[लंदन]] के वकील [[सर सिरिल रैडक्लिफ]] ने तय की। हिन्दू बहुमत वाले इलाके भारत में और मुस्लिम बहुमत वाले इलाके पाकिस्तान में शामिल किए गए। [[18 जुलाई]] [[1947]] को ब्रिटिश संसद ने [[इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट]] (भारतीय स्वतंत्रता कानून) पास किया जिसमें विभाजन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया। इस समय ब्रिटिश भारत में बहुत से राज्य थे जिनके राजाओं के साथ ब्रिटिश सरकार ने तरह-तरह के समझौते कर रखे थे। इन 565 राज्यों को आज़ादी दी गयी कि वे चुनें कि वे भारत या पाकिस्तान किस में शामिल होना चाहेंगे। अधिकतर राज्यों ने बहुमत धर्म के आधार पर देश चुना। जिन राज्यों के शासकों ने बहुमत धर्म के अनुकूल देश चुना उनके एकीकरण में काफ़ी विवाद हुआ (देखें [[भारत का राजनैतिक एकीकरण]])। विभाजन के बाद पाकिस्तान को [[संयुक्त राष्ट्र]] में नए सदस्य के रूप में शामिल किया गया और भारत ने ब्रिटिश भारत की कुर्सी संभाली।<ref>टॉमस आरगीसी, Nations, States, and Secession: Lessons from the Former Yugoslavia, मेडटरेनियन क्वॉटरली, Volume 5 Number 4 Fall 1994, पृ. 40–65, ड्यूक यूनिवर्सिटी प्रेस</ref>
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== यह भी देखे ==
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