"मथुरा की मूर्तिकला": अवतरणों में अंतर
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{{आज का आलेख}}[[चित्र:Yaksi.JPG|thumb|right|200px|यक्षिणी- मथुरा चित्रकला]]मथुरा में लगभग तीसरी शती ई०पू० से बारहवीं शती ई० तक अर्थात डेढ़ हजार वर्षों तक शिल्पियों ने मथुरा कला की साधना की जिसके कारण भारतीय मूर्ति शिल्प के इतिहास में [[मथुरा]] का स्थान महत्त्वपूर्ण है। कुषाण काल से मथुरा विद्यालय कला क्षेत्र के उच्चतम शिखर पर था। सबसे विशिष्ट कार्य जो इस काल के दौरान किया गया वह बुद्ध का सुनिचित मानक प्रतीक था। मथुरा के कलाकार गंधार कला में निर्मित बुद्ध के चित्रों से प्रभावित थे। जैन तीर्थंकरों और हिन्दू चित्रों का अभिलेख भी मथुरा में पाया जाता है। उनके प्रभावाशाली नमूने आज भी मथुरा, लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद में उपस्थित हैं।<ref>{{cite web |url= http://localbodies.up.nic.in/about_up/about_up4.htm
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==गुप्त युग में दिव्यता==
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[[श्रेणी:प्राचीन भारतीय कला]]▼
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▲[[श्रेणी:प्राचीन भारतीय कला]]
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