"ध्वनिकी": अवतरणों में अंतर
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'''ध्वनिकी''' (Acoustics) [[भौतिकी]] की वह शाखा
ध्वनि की उत्पत्ति द्रव्यपिंडों के [[दोलन]] द्वारा होती है। इस दोलन से वायु की [[दाब]] एवं [[घनत्व]] में प्रत्यावर्ती (alternating) परिर्वतन होने लगते हैं, जो अपने
मनुष्य का कान एक सीमित परास की आवृतियों को ही सुन सकता है, किंतु आजकल ऐसी तरंगें भी उत्पन्न की जा सकती है जिसका कान के परदे पर कोई असर नहीं होता। कान की सीमा से अधिक परास की आवृतियों की ध्वनि को '''[[पराश्रव्य तरंगें]]''' कहते हैं। बहुत से जानवर, जैसे [[चमगादड़]], पराश्रव्य ध्वनि सुन सकते हैं। आधुनिक समय में श्रव्य तथा पराश्रव्य दोनों प्रकार की ध्वनियों की आवृतियों को एक बड़ी सीमा के भीतर उत्पन्न किया, पहचाना और मापा जा सकता है। ==इन्हें भी देखें==
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