"नारायण पण्डित (गणितज्ञ)": अवतरणों में अंतर
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नारायण पण्डित ने दो मुख्य लेखन किये, एक तो ''गणित कौमुदी'' नामक [[अंकगणित]]ीय प्रबन्ध तथा दूसरा ''बीजगणित वातांश'' नामक [[बीजगणित]]ीय प्रबन्ध। नारायण को [[भाष्कर द्वितीय]] के [[लीलावती]] तथा कर्मप्रदीपिया (अथवा कर्मपद्धति) की विस्तृत टीका के लेखक के रुप में भी जाना जाता है।<ref name=Narayana>J. J. O'Connor and E. F. Robertson (2000). [http://www-gap.dcs.st-and.ac.uk/~history/Biographies/Narayana.html Narayana], ''[[MacTutor History of Mathematics archive]]''.</ref> यद्यपि कर्मप्रदीपिका में मूल कार्य थोड़ा ही है, इसमें संख्याओं का वर्ग करने हेतु सात विभिन्न विधियाँ हैं। एक ऐसा योगदान जो कि पूर्णरुपेण लेखक का मौलिक है साथ ही [[बीजगणित]] में योगदान तथा [[मायावी वर्ग]]।<ref name=Narayana/>
नारायण के अन्य मुख्य कार्यों में कई गणितीय विकास शामिल है जैसे वर्गमूल का लगभग मान निकालने हेतु एक नियम, दूसरी ऑर्डर की [[इण्टरमीटिएट समीकरण]] में छानबीन, ''nq''<sup>2</sup> + 1 = ''p''<sup>2</sup> ([[पैल की समीकरण]]),
नारायण को किसी क्रम के [[परमुटेशन|सभी परमुटेशनों की सिस्टैमैटिक रुप से उत्पत्ति]] हेतु एक विधि विकसित करने का भी श्रेय दिया जाता है।
==सन्दर्भ==
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