"शिलारस": अवतरणों में अंतर

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दरअसल जब तेल के भंडार पृथ्वी पर कहीं ढूंढे जाते हैं, तब यह गाढ़े काले रंग का होता है। जिसे क्रूड ऑयल कहा जाता है और इसमें [[हाइड्रोकार्बनों]] की बहुलता होती है। हाइड्रोकार्बन्स की खासियत यह होती है कि इनमें मौजूद हाइड्रोजन और कार्बन के अणु एक दूसरे से विभिन्न श्रृंखलाओं में बंधे होते हैं। ये श्रृंखलाएं तरह-तरह की होती हैं। यही श्रृंखलाएं विभिन्न प्रकार के तेल उत्पादों का स्रोत होती हैं। इनकी सबसे छोटी श्रृंखला मिथेन नामक प्रोडक्ट का आधार बनती है। इनमें लंबी श्रृंखलाओं वाले हाइड्रोकार्बन्स ठोस जैसे कि मोम या टार नामक प्रोडक्ट का निर्माण करते हैं।
[[चित्र:Schemat wydobywania ropy naftowej.svg|right|thumb|250px|सछिद्र चट्टान (4) में पेट्रोलियम दो स्थित है।]]
जब पृथ्वी से तेल खोद कर निकाला जाता है उस वक्त क्रूड ऑयल ठोस रूप में होता है। इससे तेल के विभिन्न रूप पाने के लिए क्रूड ऑयल में मौजूद हाइड्रोकार्बन के विभिन्न चेन को अलग करना पड़ता है। हाइड्रोकार्बन के विभिन्न चेनों को अलग करने की प्रक्रिया केमिकली क्रांस लिंकिंग हाइड्रोकार्बन कहलाती है। जिसे हम शोधन प्रक्रिया के नाम से जानते हैं। यह शोधन प्रक्रिया रिफाइनरीज में होती है। एक तरह से यह शोधन बेहद आसान भी होता है और मुश्किल भी। यह सरल तब होता है जब क्रूड ऑयल में पाए जाने वाले हाइड्रोकार्बन्स के बारे में पता हो और मुश्किल तब जब इसकी जानकारी नहीं होती है। दरअसल हर प्रकार के हाइड्रोकार्बन्स का बॉइलिंग पॉइंट यानी जिस पर शोधन के लिए वह वाष्पीकृत हो सके, अलग-अलग होता है इस तरह डिfस्टलेशन की प्रक्रिया से उन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है। ऑयल रिफाइनरी की पूरी प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है।