"निम्नतापिकी": अवतरणों में अंतर

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[[File:Nitrogen ice cream 0020.jpg|thumb|200px|तुषारजनिकी में प्रयोग होने वाली तरल [[नाईट्रोजन]] गैस]]
'''तुषारजनिकी''' या '''[[प्राशीतनी]]''' ([[अंग्रेज़ी]]:''क्रायोजेनिक्स'') [[भौतिकी]] की वह शाखा है, जिसमें अत्यधिक [[तापमान|निम्न ताप]] उत्पन्न करने व उसके अनुप्रयोगों के अध्ययन किया जाता है। क्रायोजेनिक का उद्गम [[यूनानी]] शब्द ''क्रायोस'' से बना है जिसका अर्थ होता है शीत यानी [[बर्फ]] की तरह शीतल। इस शाखा में (-१५०°से., −२३८ °फै. या १२३ कै.) तापमान पर काम किया जाता है। इस निम्न तापमान का उपयोग करने वाली प्रक्रियाओं और उपायों का क्रायोजेनिक अभियांत्रिकी के अंतर्गत अध्ययन करते हैं। यहां देखा जाता है कि कम तापमान पर धातुओं और गैसों में किस प्रकार के परिवर्तन आते हैं।<ref name="हिन्दुस्तान">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-120865.html क्रायोजेनिक्स]|हिन्दुस्तान लाइव।६ जून, २०१०</ref> कई धातुएं कम तापमान पर पहले से अधिक ठोस हो जाती हैं। सरल शब्दों में यह शीतल तापमान पर धातुओं के आश्चर्यजनक व्यवहार के अध्ययन का विज्ञान होता है।<ref name="डायलॉग"/> इसकी एक शाखा में इलेक्ट्रॉनिक तत्वों पर प्रशीतन के प्रभाव का अध्ययन और अन्य में मनुष्यों और पौधों पर प्रशीतन के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। कुछ वैज्ञानिक तुषारजनिकी को पूरी तरह कम तापमान तैयार करने की विधि से जोड़कर देखते हैं जबकि कुछ कम तापमान पर धातुओं में आने वाले परिवर्तन के अध्ययन के रूप में।
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[[pt:Criogenia]]
[[ro:Criogenie]]
[[ru:Криогеника]]
[[sv:Kryoteknik]]