"मैमोग्राफी (स्तन चित्रण)": अवतरणों में अंतर

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'''मैमोग्राफी''' (स्तन चित्रण) मानव स्तन के परीक्षण के लिए कम विस्तारित मात्रा में एक्स-रे (आम तौर पर 0.7 एमएसवी के आसपास) के उपयोग की प्रक्रिया है और इसका उपयोग रोग की पहचान करने और उसका पता लगाने के उपकरण के रूप में ‍िकया जाता है.
स्तन चित्रण का लक्ष्य स्तन कैंसर का शुरूआती दौर में ही पता लगाना है और यह सामान्यत: कुछ खास तरह के पुंजों और/या छोटी कोशिकाओं का पता लगाकर किया जाता है. माना जाता है कि मैमोग्राफी से स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु दर को कम कर सकती है. कम जोखिम वाली किसी अन्य चित्रण तकनीक विकास अब तक नहीं हुआ है, ले‍किन स्तन आत्म परीक्षा (बीएसई) और चिकित्सक के परीक्षण को स्तन की नियमित देखभाल के आवश्यक हिस्से माने गये हैं.
माना जाता है कि मैमोग्राफी से स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु दर को कम कर सकती है. कम जोखिम वाली किसी अन्य चित्रण तकनीक विकास अब तक नहीं हुआ है, ले‍किन स्तन आत्म परीक्षा (बीएसई) और चिकित्सक के परीक्षण को स्तन की नियमित देखभाल के आवश्यक हिस्से माने गये हैं.
 
कई देशों में स्तन कैंसर की जल्दी पहचान के लिए उम्रदराज महिलाओं की नियमित मैमोग्राफी को एक स्क्रीनिंग पद्धति के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. संयुक्त राज्य अमेरिका प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स 50 से 74 आयु वर्ग की महिलाओं के लिए हर 2 साल पर नैदानिक स्तन परीक्षण के साथ या इसके बिना मैमोग्राफी स्क्रीनिंग की सिफारिश करता है.<ref name="USPST">अमेरिका प्रिवेंटिव टास्क फोर्स. [http://www.ahrq.gov/clinic/uspstf/uspsbrca.htm#summary स्क्रीनिंग के लिए स्तन कैंसर]. हेल्थकेयर अनुसंधान और गुणवत्ता के लिए एजेंसी.</ref> कुल मिलाकर पाया गया है कि नैदानिक परीक्षणों से स्तन कैंसर से मृत्यु दर में 20% की अपेक्षाकृत कमी आई है, लेकिन उच्चतम गुणवत्ता वाले दो परीक्षणों में मृत्यु दर में कमी का रुख नहीं दिखा.<ref>{{cite journal |author=Gøtzsche PC, Nielsen M |title=Screening for breast cancer with mammography |journal=Cochrane Database Syst Rev |volume= |issue=4 |pages=CD001877 |year=2006 |pmid=17054145 |doi=10.1002/14651858.CD001877.pub2 |url=}}</ref> सन् 2000 में, एक अखबार द्वारा उच्चतम गुणवत्ता वाले दो अध्ययनों के परिणामों को प्रकाशित कर उजागर करने के बाद,स्तन चित्र (मैमोग्राम्स) विवादास्पद हो गये.<ref>{{cite journal |author=Miller AB |title=Is mammography screening for breast cancer really not justifiable? |journal=Recent Results Cancer Res. |volume=163 |issue= |pages=115–28; discussion 264–6 |year=2003 |pmid=12903848 |doi= |url=}}</ref>
 
अन्य सभी एक्स-रे की तरह स्तन चित्र में चित्र बनाने के लिए विकिरण को आयनित करने की खुराक का उपयोग किया जाता है. फिर रेडियोलॉजिस्ट सभी असामान्य निष्कर्षों का विश्लेषण करता है. हड्डियों की रेडियोग्राफी की तुलना में लंबी और देर तक प्रवाहित की जाने वाली तरंगों वाले एक्स-रे (सामान्यत: एमओ-के) का उपयोग आम है.
हड्डियों की रेडियोग्राफी की तुलना में लंबी और देर तक प्रवाहित की जाने वाली तरंगों वाले एक्स-रे (सामान्यत: एमओ-के) का उपयोग आम है.
 
इस समय, आरंभिक स्तन कैंसर के रोग अध्ययन के लिए भौतिक स्तन परीक्षण के साथ मैमोग्राफी को भी पसंद किया जाने लगा है अल्ट्रासाउंड, डक्टोग्राफी (एक वाहिनी के जरिये गांठ का पता लगाना), पोजीट्रान इमिशन मैमोग्राफी(पीईएम)और चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग मैमोग्राफी के पूरक हैं. सामान्यत: अल्ट्रासाउंड का उपयोग मैमोग्राफी से प्राप्त या इस प्रक्रिया से नहीं छूने योग्य पुंजों के आगे के मूल्यांकन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. कुछ संस्थान स्तन चित्रण से रोग का पता नहीं लग पाने पर, अब भी डक्टोग्राम का उपयोग चुचुक या निप्पल से खून के रिसाव के लिए करते हैं. संदिग्ध निष्कर्षों के आगे के मूल्यांकन के लिए साथ ही स्तन कैंसर के ज्ञात मरीजों में सर्जरी से पहले के परीक्षण के लिए एमआरआई (चुंबकीय अनुनादी चित्रण) उपयोगी हो सकता है, ताकि उन अतिरिक्त उतकों का पता लगाया जा सके, जो सर्जरी की दिशा बदल सकते हैं, उदाहरण के लिए स्तन से सर्जरी के जरिये गांठ निकाल दिये जाने (लुंपेक्टोमी) से लेकर पूरे स्तन को काटकर निकाल देने (मास्टेक्टोमी) तक. टोमोसिंथेसिस (एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड के जरिये मानव शरीर के विभिन्न हिस्सों को दिखाने जैसी तकनीक) सहित नई प्रक्रियाएं सामान्य जनता में इस्तेमाल के लिए नहीं अभी अनुमोदित नहीं की गई हैं, पर आने वाले सालों में इनसे लाभ हो सकते हैं.
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इसी समय, स्तन चित्र में ट्यूमर का पता लगाने में चूक या "गलत नकारात्मक" दर भी हो सकती है. नकारात्मक खोज के आंकड़ों का पता लगाना साधारणत: इसलिए मुश्किल है क्योंकि उस हर महिला का मास्टेक्टोमीज (स्तन को काटकर हटाने) नहीं होता है, जिनके पास सही-सही गलत नकारात्मक दर वाली मैमोग्राफी है. गलत नकारात्मक दर का अनुमान कई वर्षों तक भारी संख्या में रोगियों के बारे में आगे की गहन छानबीन पर निर्भर हैं. यह व्यवहार में काफी कठिन है, क्योंकि कई महिलाएं नियमित रूप से मैमोग्राफी के लिए वापस नहीं आतीं, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि उन्हें कैंसर हुआ था या नहीं. डॉ. शमूएल एस इप्सटीन ने अपनी पुस्तक ''द पॉलिटिक्स ऑफ कैंसर'' में ने दावा किया है कि 40 से 49 वर्ष की महिलाओं में प्रत्येक मैमोग्राफी में चार में से एक महिला में कैंसर का पता लगाने में चूक हुई. शोधकर्ताओं ने पाया है कि युवा महिलाओं में स्तन ऊतक काफी घने होते हैं और गांठ का पता लगाना मुश्किल होता है. इस कारण से, रजोनिवृत्ति से पहले कराये गये स्तन चित्रण (प्रेट) में गलत नकारात्मक रिपोर्ट दो बार तक हो सकती है. यही कारण है कि ब्रिटेन में स्क्रीनिंग कार्यक्रम में 50 वर्ष की उम्र तक महिलाओं को स्क्रीनिंग कार्यक्रम के लिए महिलाओं को बुलाना नहीं शुरू किया जाता.
 
कैंसर की खोज में हुई चूकों का महत्व स्पष्ट नहीं है, खासकर तब जब अगर औरत हर साल स्तन चित्रण कराती है. संबंधित स्थिति पर किये गये अनुसंधान से पता चलता है कि छोटे कैंसर, जिनपर भले ही तुरंत निदानमूलक काम नहीं शुरू किया गया, लेकिन कई वर्षों की अवधि तक निगरानी रखी गई, उनके अच्छे परिणाम दिखे. 3184 महिलाओं के एक समूह का मैमोग्राम किया गया, जिन्हें औपचारिक रूप से "संभावित रूप से शुरूआती" के रूप में वर्गीकृत किया गया था. रोगियों का यह वर्गीकरण स्पष्ट रूप से सामान्य नहीं हैं, लेकिन इसमें मामूली चिंता के कुछ क्षेत्र शामिल हैं. इन परिणामों में रो‍िगयों की बायोप्सी नहीं की गई, पर तीन साल के लिए हर छह महीने पर मैमोग्राफी के नतीजों पर नजर रखी गई, ताकि कोई परिवर्तन नहीं होने गारंटी पाई जा सके. इन 3184 महिलाओं में से 17(0.5%) को कैंसर था. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब इनका पता लगाया गया तो ये अभी भी 0 या 1 के शुरूआती चरण में थे. पांच साल के उपचार के बाद इन 17 महिलाओं में से किसी में पुनरावृत्ति के सबूत नहीं थे. इस प्रकार, शुरूआती दौर के छोटे कैंसर, जिनका निदान हालांकि तुरंत नहीं शुरू किया गया, पर अभी भी पे पूरी तरह से इलाज योग्य हैं.(सिकेल्स, एजेआर 179:463-468, 1991).
पांच साल के उपचार के बाद इन 17 महिलाओं में से किसी में पुनरावृत्ति के सबूत नहीं थे. इस प्रकार, शुरूआती दौर के छोटे कैंसर, जिनका निदान हालांकि तुरंत नहीं शुरू किया गया, पर अभी भी पे पूरी तरह से इलाज योग्य हैं.(सिकेल्स, एजेआर 179:463-468, 1991).
 
===अन्य जोखिम===