"जसवंत थड़ा": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1:
[[Image:जसवंत थड़ा.jpg|thumb|250px|right|जसवंत थड़ा]]
[[जोधपुर]] [[दुर्ग]] [[मेहरानगढ़]] के पास ही सफ़ेद [[संगमरमर]] का एक [[स्मारक]] बना है जिसे जसवंत थड़ा कहते है । इसे सन 1899 में [[जोधपुर]] के महाराजा जसवंत सिंह जी (द्वितीय)(1888-1895) की यादगार में उनके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह जी ने बनवाया था । यह स्थान जोधपुर [[राजपरिवार]] के सदस्यों के दाह संस्कार के लिये सुरक्षित रखा गया है । इससे पहले राजपरिवार के सदस्यों का दाह संस्कार [[मंडोर]] में हुआ करता था । इस विशाल स्मारक में संगमरमर की कुछ ऐसी शिलाएँ भी दिवारों में लगी है जिनमे [[सूर्य]] की किरणे आर-पार जाती हैं । इस स्मारक के लिये [[जोधपुर]] से 250 कि,मी, दूर [[मकराना]] से संगमरमर का पत्थर लाया गया था । स्मारक के पास ही एक छोटी सी झील है जो स्मारक के सौंदर्य को और बढा देती है इस [[झील]] का निर्माण महाराजा अभय सिंह जी( 1724-1749) ने करवाया था । जसवंत थड़े के पास ही महाराजा सुमेर सिह जी, महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा उम्मेद सिंह जी व महाराजा हनवन्त सिंह जी के स्मारक बने हुए हैं । इस स्मारक को बनाने मे 2,84,678 [[रूपए]] का खर्च आया था ।<br/>
--[[सदस्य:Ratansingh|रतन सिंह शेखावत]] १६:३१, ११ सितंबर २०१० (UTC)