"भवानी": अवतरणों में अंतर
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गायत्री का एक नाम भवानी
धर्म का एक पक्ष सेवा, साधना, करुणा,सहायता, उदारता के रूप में प्रयुक्त होता
सृजन और ध्वंस की द्विविध प्रक्रियाओं का अवलम्बन लेने से ही सुव्यवस्था बन पाती
संघषर् का प्रथम चरण दुर्बुद्धि से जूझना
लोक व्यवहार में यही दुष्प्रवृत्तियाँ आलस्य,प्रमाद,अस्वच्छता, अशिष्टता, अव्यवस्था, संकीर्ण स्वार्थ परता आदि रूपों में मनुष्य को उपेक्षित, तिरस्कृत बनाती
समाज में जहाँ सहकारिता, सज्जनता एवं रचनात्मक प्रयत्नों का क्रम चलता है, वहाँ दुष्टता, दुरभिसन्धियाँ भी कम नहीं
भवानी के स्वरूप,आयुध एवं वाहन आदि का-संक्षिप्त तात्त्विक विवेचन इस प्रकार है-
भवानी के एक मुख, आठ हाथ
[[श्रेणी:हिन्दू देवियाँ]]
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