"माहेश्वर सूत्र": अवतरणों में अंतर

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डमरु के चौदह बार बजाने से चौदह सूत्रों के रूप में ध्वनियाँ निकली, इन्हीं ध्वनियों से [[व्याकरण]] का प्रकाट्य हुआ। इसलिये व्याकरण सूत्रों के आदि-प्रवर्तक भगवान नटराज को माना जाता है। प्रसिद्धि है कि महर्षि पाणिनि ने इन सूत्रों को देवाधिदेव [[शंकर|शिव]] के आशीर्वाद से प्राप्त किया जो कि पाणिनीय [[संस्कृत व्याकरण]] का आधार बना।
 
 
माहेश्वर सूत्रों की कुल संख्या १४ है जो निम्नलिखित हैं: