"मत्स्य पुराण": अवतरणों में अंतर

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इस पुराण में भगवान् श्रीहरि के मत्स्य अवतार की मुख्य कथा के साथ अनेक तीर्थ, व्रत, यज्ञ, दान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें जल प्रलय, मत्स्य व मनु के संवाद, राजधर्म, तीर्थयात्रा, दान महात्म्य, प्रयाग महात्म्य, काशी महात्म्य, नर्मदा महात्म्य, मूर्ति निर्माण माहात्म्य एवं त्रिदेवों की महिमा आदि पर भी विशेष प्रकाश डाला गया है।<ref>[http://www.gitapress.org/hindi/search_By_Code.asp?all=1&txtSearch=1361 गीताप्रेस डाट काम]</ref> चौदह हजार श्लोकों वाला यह पुराण भी एक प्राचीन ग्रंथ है।
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[[श्रेणी:वैदिक धर्म]]
 
[[bn:মৎস্যপুরাণ]]
[[gu:મત્સ્ય પુરાણ]]
[[en:Matsya Purana]]
[[es:Matsya purāṇa]]
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[[kn:ಮತ್ಸ್ಯ ಪುರಾಣ]]
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[[ru:Матсья-пурана]]