"रामानुज": अवतरणों में अंतर

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रामानुजाचार्य ने वेदांत के अलावा सातवीं-दसवीं शताब्दी के रहस्यवादी एवं भक्तिमार्गी अलवार सन्तों से भक्ति के दर्शन को तथा दक्षिण के पंचरात्र परम्परा को अपने विचार का आधार बनाया।
 
== जीवनी ==
1017 ई. में रामानुज का जन्म दक्षिण भारत के तिरुकुदूर क्षेत्र में हुआ था। बचपन में उन्होंने [[कांची]] में यादव प्रकाश गुरु से वेदों की शिक्षा ली। रामानुजाचार्य आलवन्दार यामुनाचार्य के प्रधान शिष्य थे। गुरु की इच्छानुसार रामानुज ने उनसे तीन काम करने का संकल्प लिया था:- ब्रह्मसूत्र, विष्णु सहस्रनाम और दिव्य प्रबंधनम की टीका लिखना। उन्होंने गृहस्थ आश्रम त्यागकर श्रीरंगम के यदिराज संन्यासी से संन्यास की दीक्षा ली।
 
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मूल ग्रन्थ : ब्रह्मसूत्र पर भाष्य '[[श्रीभाष्य]]' एवं '[[वेदार्थ संग्रह]]'।
 
== विशिष्टाद्वैत दर्शन ==
रामनुजाचार्य के दर्शन में सत्ता या परमसत् के सम्बन्ध में तीन स्तर माने गए हैं:- ब्रह्म अर्थात ईश्वर, चित् अर्थात आत्म, तथा अचित अर्थात प्रकृति।
 
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== इन्हें भी देखें ==
* [[आदि शंकराचार्य]]
* [[मध्वाचार्य]]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://hindi.webdunia.com/religion/religion/personality/0904/29/1090429021_1.htm रामानुजाचार्य का परिचय] (वेबदुनिया)
* [http://hindi.samaylive.com/news/11057/11057.html भक्ति के महान आचार्य थे रामानुजाचार्य] (समय_अलाइव)
 
[[de:Ramanuja]]
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[[kn:ರಾಮಾನುಜ]]
[[ml:രാമാനുജൻ]]
[[ne:रामानुजाचार्य]]
[[pl:Ramanudźa]]
[[pt:Ramanuja]]