"समाजभाषाविज्ञान": अवतरणों में अंतर

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तू, तुम, या आप में किसी एक के प्रयोग अथवा एकवचन या बहुवचन में एक के स्थान पर दूसरे के चयन के पीछे का निर्धारक तत्व भाषा-प्रयोग का सामाजिक बोध ही होता है। सामाजभाषाविज्ञान की यह मान्यता है कि भाषा को इस सामाजिक बोध अथवा उसके सामाजिक प्रयोजन से अलग कर देखना असंगत है । अत: वह भाषा को शुध्द भाषिक प्रतीकों की व्यवस्था नहीं मानता, जैसा कि सैध्दांतिक भाषावैज्ञानिकों का एक वर्ग स्वीकार करता है। वह एक वर्ग स्वीकार करता है। वह तो भाषा को सामाजिक प्रतीकों की एक उपव्यवस्था के रूप में परिभाषित करता है। इस प्रकार हम देखते है कि समाजभाषा में समाज द्वारा जहां निर्वाध गति से बोलता है वह कभी भाषा का ध्यान न देकर वह सम्प्रेषण पर विशेष ध्यान देते हुए मुख सुख का सुविधा देना चाहता है। उसको भाषा विज्ञान में समाजभाषाविज्ञान कहते है।
 
==भाषा का समाजशास्त्र==
एक ताज़ा भाषाई अनुमान के मुताबिक़ दुनिया में एक वक़्त कुल छह हज़ार आठ सौ नौ भाषाएँ बोली जाती थीं {{तथ्य}} लेकिन उनकी संख्या तेज़ी से कम हो रही है. क्योंकि 90 प्रतिशत भाषाएँ ऐसी हैं जिनके बोलने वालों की संख्या एक लाख से कम है.537 भाषाएँ ऐसी भी हैं जिनके बोलने वाले पचास से भी कम रह गए हैं लेकिन ज़्यादा अफ़सोसनाक हालत उन 46 भाषाओं की है जो आने वाले चंद सालों में ख़त्म होने वाली हैं क्योंकि उनके बालने वाला सिर्फ़ एक-एक ही इनसान बाक़ी रह गया है.चीन में बोली जाने वाली मन्दारिन भाषा आबादी के लिहाज़ से दुनिया की सबसे बड़ी भाषा समझी जाती है जबकि अंग्रेज़ी भाषा दूसरे नंबर पर है.[[हिंदी]] और [[उर्दू]] को अगर एक भाषा माना जाए तो आबादी के लिहाज़ से वो विश्व की तीसरी बड़ी भाषा है लेकिन अगर हिंदी को अलग भाषा के तौर पर देखा जाए तो दुनिया भर की ज़बानों की सूची में उसका नंबर छठा बनता है. पाँचवें नंबर पर [[बांग्ला]] है और उर्दू 22वें नंबर पर चली जाती है. इसके अलावा [[अरबी]] और [[हसपानवी]] भी दुनिया की बड़ी भाषाओं में शामिल है लेकिन अंग्रेज़ी का मामला सबसे अलग है.चूँकि दुनिया में सिर्फ़ 32 करोड़ लोग की [[मातृभाषा]] अंग्रेज़ी है जिनकी बहुतायत [[अमरीका]], [[कनाडा]], [[ब्रिटेन]], [[ऑस्ट्रेलिया]] और [[न्यूज़ीलैंड]] में है.लेकिन दुनिया भर के देशों में अन्य 35 करोड़ लोग ऐसे हैं जो अंग्रेज़ी को एक संपर्क भाषा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं यानी अपनी मातृ भाषा के साथ-साथ वे अंग्रेज़ी भी उसी सुविधा और रफ़्तार से बोल लेते हैं.
 
उनके अलावा दस से पंद्रह करोड़ तक ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपनी ज़रूरत के लिए अंग्रेज़ी सीखी है लेकिन ऐसे लोगों की संख्या अब तेज़ी से बढ़ रही है जिनकी न तो यह मातृ भाषा है और न ही संपर्क भाषा.अलबत्ता शिक्षा, रोज़गार या केवल बौद्धिक ज्ञान के विस्तार के उद्देश्य से उन्होंने अंग्रेज़ी में महारत हासिल की है. [[रेडियो]], [[टीवी]], [[फ़िल्म]] और ख़ासतौर पर [[इंटरनेट]] का इस्तेमाल बढ़ने के साथ-साथ अंग्रेज़ी का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है.एक भाषा के तौर पर अंग्रेज़ी की प्रकृति को पूरी तरह समझने के लिए भाषा विज्ञान के कुछ आधारभूत सिद्धांतों का जानना ज़रूरी है. मसलन हमें मालूम होना चाहिए कि दुनिया भर की भाषाएँ किन समूहों में बँटी हैं और किसी भी भाषा के समझने के लिए उसकी उत्पत्ति जानना ज़रूरी है.
 
==इन्हें भी देखें==