"आनन्द": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 14:
 
इस पर विवाद रहा है कि सुख की अनुभूति का एहसास दूसरे पशु भी करते हैं या यह सर्वथा मानव जाति का ही गुणधर्म है. दूसरी ओर [[जेरेमी बेन्थम|जेरेमी बेन्थम]](जो आमतौर पर [[उपयोगितावाद|उपयोगितावाद]] के संस्थापक के रूप में माने जाते हैं)<ref name="Bentham">{{cite book | title = An Introduction to the Principles of Moral Legislation | year = 1996 | last = Bentham | first = Jeremy | authorlink = Jeremy Bentham |publisher = [[Oxford University Press]] | location = Oxford | isbn = 978-0-19-820516-6 | url = http://www.la.utexas.edu/research/poltheory/bentham/ipml/ipml.toc.html}}</ref> और बेथ डिक्सन<ref>नीति और पर्यावरण, खंड 6, संख्या 2, ऑटम 2001, पीपी. 22-30, इंडियाना यूनिवर्सिटी प्रेस, [http://muse.jhu.edu/login?uri=/journals/ethics_and_the_environment/v006/6.2dixon.html जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी प्रेस], इन्हें भी देखें: पशुओं में मनोभाव</ref> इस तर्क से सहमत हैं हालांकि वह बात सतर्कता से कहते हैं. जो लोग मानव अपवाद में विश्वास करतें हैं उनका यह मानना है की सगुणवाद में ,सुख सहित, ''किसी भी'' मानवीय अनुभूति को पशुओं की विशेषता नहीं माना जा सकता है. दूसरे लोग पशु व्यवहार को मात्र उत्तेजना की प्रतिक्रिया के रूप में देखते हैं. व्यवहार का अध्यन करने वाले लोग भी, प्रमाण स्वरुप, पावलोव के कुत्तों (उनके द्वारा व्यवहार की दी गयी व्याख्या )को सबसे प्रसिद्ध उदहारण मानते हैं. हालांकि, यह तर्क किया जा सकता है की हमें यह नहीं पता कि पशु आनंद अनुभव कर सकते हैं या नहीं, और ज्यादातर वैज्ञानिक निरपेक्ष रहना चाहते हैं और आवश्यकतानुसार सगुणवाद का उपयोग करते हैं.<ref name="Horowitz">[http://crl.ucsd.edu/~ahorowit/Encyclopedia-anthrop.pdf होरोविट्ज़ ए. 2007.][http://crl.ucsd.edu/~ahorowit/Encyclopedia-anthrop.pdf मानवीकरण.], एम. बेकोफ़, एड., मानव-पशु के संबंध पर विश्वकोश, पीपी 60-66, ग्रीनवुड पब्लिशिंग ग्रुप, वेस्टपोर्ट, सीटी.</ref> ऐसा प्रतीत होता है, कि पशुओं की भावनाओं को मान्यता देने वालों की संख्या बढ़ रही है: कई एथोलोजिस्ट (ethologists ) जैसे मार्क बेकोफ्फ़ इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पशु भी भावना की अनुभूति करते हैं हालांकि यह जरूरी नहीं है कि उनका अनुभव मानव अनुभव के जैसा ही हो.<ref name="Times">सन्डे टाइम्स द्वारा [http://www.timesonline.co.uk/tol/news/world/europe/article4595810.ece क्या जानवरों में भी भावना है?], 24 अगस्त 2008.</ref>
 
==स्वपीड़ासक्ति==
स्वपीड़ासक्त वह लोग हैं जो [[दर्द|पीड़ा]] से सुख की अनुभूति प्राप्त करते हैं. स्वपीड़ासक्ति का अस्तित्व उस सार्वभौमिक दृष्टी को पेचीदा बना कर नकार देता है जिसके तहत आनंद को एक सकारात्न्मक अनुभव माना जाता है, मूलतः पीड़ा के विरुद्ध यह एक नकारात्मक अनुभव है. स्वपीड़ासक्ति संदर्भ पर निर्भर है: स्वपीड़ासक्त कुछ स्थितियों में कुछ प्रकार के दर्द का आनंद लेते हैं.
"https://hi.wikipedia.org/wiki/आनन्द" से प्राप्त