"कॉण्टैक्ट लैंस": अवतरणों में अंतर

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=== प्रवेशन ===
[[चित्र:Contact Lens Ayala.jpg|thumb|200px|कांटैक्ट लेंस डालते हुए]]
कांटैक्ट लैंसों को आम तौर पर आंख में इनको तर्जनी उंगली पर अवतल भाग को ऊपर की ओर रख कर फिर उठाकर कोर्निया को छूकर लगाया जाता है. दूसरे हाथ से आंख को खुला रखा जा सकता है. विशेषकर डिस्पोजेबल नर्म लैंसों से समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं – यदि लैंस और उंगली के बीच सतह का तनाव बहुत अधिक हो, तो लैंस उल्टा हो सकता है,या वह दोहरा हो सकता है. जब लैंस का आंख से पहली बार संपर्क होता है, तब आंख को उसकी आदत होने तक या लैंस पर पड़ी धूल के कारण (यदि बहुकेंद्रिक लैंस को ठीक से साफ न किया गया हो) थोड़ी सी देर के लिये क्षोभ महसूस हो सकता है. ऐसे समय आंख को धोने से लाभ हो सकता है लेकिन यह एक मिनट से अधिक नहीं करना चाहिये. यह ध्यान देने की बात है कि हालांकि कुछ तरह के कांटैक्ट लैंसों में यह सरलता से मालूम हो जाता है कि आपने लैंस को उल्टी ओर से लगा लिया है (चूंकि यह दर्दपूर्ण होता है और इससे ठीक से नजर नहीं आता), आप लैंस की सही स्थिति का पता पहले ही लगा सकते हैं. इसके लिये लैंस को अपनी उंगली के सिरे पर रख कर अपने दूसरे हाथ की दो उंगलियों से उसके निचले भाग को निचोड़ना चाहिये – आपको सही स्थिति ज्ञात हो जाएगी यदि लैंस की किनारियांके सिरे किसी टैको की तरह भीतर की ओर मुड़ गई हों. यदि वे बाहर की ओर मुड़ जाएं तो आपको लैंस को फ्लिप करने की जरूरत पड़ेगी. लेकिन कुछ तरह के लैसों में यह कठिन होता है क्यौंकि वे दोनों ओर से समान दिखते हैं. कई लैंसों को आंख में लगाने के बाद भी यह बताना कठिन होता है कि वे उल्टीउन्हें स्थितिउल्टा मेंलगाया लगेगया हैंहै. ऐसा इसलिये होता है क्यौंकिक्योंकि इन लैंसों के दोनों तरफ से नजर व अनुभूति समान होती है. इस वजह से कई लोग यह कोशिश करते हैं कि वे पहले दिन से ही अपने कांटैक्ट लैंसों को दोनों ओर से देखकर पहचान लें ताकि जब उन्हें लगे कि लैंस उल्टा लग गया है तो वे कभी भी उसे सही तरह से लगा सकें. लैंसों को कभी भी उल्टा नहीं पहनना चाहिये भले ही वे आरामदेह लगते हों और उनसे स्पष्ट क्यौं न दिखता हो.
 
=== निकालना ===