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संचायक (Accumulator), ऊर्जा संचित करनेवाला उपकरण है। द्रवइंजीनियरी (hydraulics) मे द्रवचालित संपीडक तथा उत्थापक (elevator) को शक्ति (power) प्रदान करने के लिए, एक प्रकार का संचायक होता है, जिसके ऊर्ध्वाधर बेलन में मज्जक (plunger) भारी भार से भारित रहता है। बेलन में पानी, जो भारयुक्त मज्जक उठा देता है, पंप द्वारा भर दिया जाता है। भारयुक्त मज्जक की क्रिया के कारण उच्चदाब पर पानी तीव्रता से विसर्जित होता है, जिससे यंत्रों को चलाने के लिए द्रवचालित शक्ति प्राप्त होती है। संचायक अल्पकाल के लिए बड़े परिणाम में शक्ति संभरित करता है और इसका भरण निम्न शक्तिवाले पंप से हो सकता है। जल-विद्युत्शक्ति प्रणाली में संचायक संयंत्र के रूप में दूसरे प्रकार के संचायक का उपयोग किया जाता है। ब्रिटेन में संचायक बैटरी (storage battery) को भी संचायक कहते हैं।

संचायक बैटरी

संचायक बैटरी एक युक्ति है, जिसमें रासायनिक ऊर्जा, जो विद्युत्‌ के रूप में किसी भी समय निर्मुक्त हो सकती है, संचित की जाती है। सामान्य उपयोग में आनेवाली संचायक बैटरियाँ दो प्रकार की होती हैं :

(१) लेड अम्ल संचायक बैटरी तथा

(२) क्षारीय संचायक बैटरी।

लेड अम्ल संचायक बैटरी

यह बैटरी एक या अनेक सर्वसम इकाइयों की, जिन्हें सेल कहते हैं, बनी होती है। प्रत्येक सेल का विभव दो वोल्ट होता है। ६ वोल्ट की साधारण ऑटोमोबाइल बैटरी में तीन सेल श्रेणीयोजित होते हैं। प्रत्येक सेल में अम्लीय विद्युत्‌ अपघट्य, जो प्राय: सल्फ्यूरिक अम्ल होता है, तथा अपने दो या अधिक रासायनिक रूपों में सीस के इलेक्ट्रोड रहते हैं। इलेक्ट्रोड प्राय: धन या ऋण पट्टिका कहलाते हैं। ये पट्टिकाएँ संरचनीय फ्रेम तथा विद्युत्‌ चालक से, जिसे ग्रिड कहते हैं, युक्त रहती हैं। ग्रिड, धात्विक लेड या मिश्रधातु तथा सक्रिय लेड (रासायनिक अवस्था) का बना होता है। सक्रिय ग्रिड लेड अवकाश को भरता है तथा आवश्यक विद्युत्‌ रासायनिक कार्य करता है। ग्रिड लेड, ऐंटिमनी (६ से १२ प्रतिशत यांत्रिक कार्यों में), टिन, बिस्मथ, आर्सेनिक तथा अन्य तत्वों के अल्प भिन्नात्मक प्रतिशत वाली मिश्रधातु से ढालकर बनाया जाता है। धन पटिटका में सक्रिय पदार्थ लेड परऑक्साइड, (Pb O2) है। ऋण पट्टिका के सक्रिय पदार्थ ये हैं : सर्ध्रां, सूक्ष्म विभाजित स्वत:बद्ध धात्विक शुद्ध लेड तथा अल्पयोज्य पदार्थ, जिसका कार्य र्ध्रांता को बनाए रखना है। बैटरी के जीवनकाल में ऋण पट्टिका बार बार आवेशित और विसर्जित होती है, अत: ऋण पटिटका की सर्ध्रांता को बनाए रखन के लिए योज्य (additive) पदार्थों की आवश्यकता पड़ती है।

प्रत्यावर्ती धन तथा ऋण पट्टिकाओं के मध्य में पृथक्कारक लगाकर, इन दोनों पट्टिकाओं को पृथक्‌ कर समयोजित करते हैं। पृथक्कारक धन और ऋण पट्टिकाओं को एक दूसरे से छूने से बचाता है। पृथक्कारक को अम्लप्रतिरोधी तथा विद्युत्‌ अपघट्य एवं विद्युत्धारा के लिए सरलता से पारगम्य होना चाहिए। यह पारगम्यता सूक्ष्म सर्ध्रां होनी चाहिए जिससे बैटरी की क्रिया के समय धन पट्टिकाओं से निकलते हुए सक्रिय पदार्थों के कणों का प्रवेश न हो। पृथक्कारक का ऋण पट्टिका के बाद का भाग समतल होता है और धन पट्टिका के विपरीत ओर का भाग खाँचेदार या धारीदार होता है।

सामान्यत: लकड़ी का उपयोग पृथक्कारक के रूप में अधिक होता है। पृथक्कारक के लिए प्रयुक्त होनेवाली लकड़ी का अधिकांश रेजिन तथा अम्ल रासायनिक क्रिया द्वारा निकाल लिया जाता है। देवदार की कुछ किस्मों की लकड़ी पृथक्कारक के लिए अत्युत्तम सिद्ध हुई है : सूक्ष्म र्ध्रांवाले रबर के कृत्रिम पृथक्कारक का उपयोग भी अत्यधिक किया जा रहा है। जलवायु या परिवर्तनशील आवेश दर (charging rate) संबंधी उच्च ताप का सामना करने के लिए कृत्रिम पृथक्कारक का उपयोग किया जाता है। पृथक्कारी को सर्ध्रां पदार्थ की, जैसे शीशे के तंतु या छिद्रिल रबर की, सहायक चादर से प्रचलित कर दिया जाता है। यह प्रचलन धन पट्टिका के पार्श्व के विपरीत रखा जाता है। जब बैटरी अधिक कार्य करती है, तब इसके जीवनकाल में यह प्रबलन सक्रिय पदार्थ के छादक के नियंत्रण में सहायक होता है।

लेड अम्ल बैटरी में विद्युत्‌ अपघट्य प्राय: तनु सल्फ्यूरिक अम्ल, जो बैटरी के आवेश की अवस्था के साथ साथ परिवर्तित होता है, रहता है। जब बैटरी आवेशित रहती है, तब सल्फ्यूरिक अम्ल की तनुता अधिक होती है और बैटरी के विसर्जित हो जाने पर अम्ल सांद्र होता जाता है। जब बैटरियाँ पूर्णत: आवेशित रहती हैं, तब अधिकांश बैटरियों के विद्युत्‌ अपघट्य का आपेक्षिक धनत्व लगभग १.२८० रहता है, लेकिन उष्ण जलवायु में यह घनत्व १.१२५ और ठंढी जलवायु में १.३०० रहता है। सामान्यत:, विद्युत्‌ अपघट्य का १.१५ आपेक्षिक घनत्व इस बात का द्योतक है कि बैटरी ९० प्रतिशत विसर्जित हो चुकी है।

विसर्जन अभिक्रिया

जब संचायक आवेशित रहता है, उस समय लेड, सी (Pb), ऋण पट्टिका और लेड ऑक्साइड, सी औ२ (Pb O2), धन पट्टिका का कार्य करता है। ये दोनों पट्टिकाएँ सल्फ्यूरिक अम्ल के विद्युत्‌ अपघट्य में डूबी रहती है। विसर्जन के समय सक्रिय पदार्थ तथा विद्युत्‌ अपघट्य में रासायनिक परिवर्तन होता है। ऋण पट्टिका का लेड दो अलेक्ट्रॉन, इ (e), से वंचित होता, जब कि धन पट्टिका का लेड ऑक्साइड दो इलेक्ट्रॉन अर्जित करता है। ऋण पट्टिका पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है :

Pb --> Pb++ + 2e;

Pb++ + SO4 --> PbSO4

धन पट्टिका पर निम्नलिखित समकालिक अभिक्रिया होती है :

PbO2 + 2H+ ---> PbO + H2O - 2e

लेड मोनोऑक्साइड सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ क्रिया कर निम्नलिखित फल देता है :

PbO + H2 SO4 ---> PbSO4 + H2O

विसर्जन काल में धन और ऋण दोनों पट्टिकाएँ लेड सल्फेट से आच्छादित हो जाती हैं। इस समय विद्युत्‌ अपघट्य, अर्थात्‌ सल्फ्यूरिक अम्ल, का आपेक्षिक घनत्व कम हो जाता है, क्योंकि कुछ सल्फ्यूरिक अम्ल पानी में परिवर्तित हो जाता है।

आवेश अभिक्रिया

बैटरी के क्रियाशील रहते समय जिस दिशा में धारा चलती है उसके विपरीत धारा प्रवाहित कर बैटरी को आवेशित किया जाता है, जिसके कारण बैटरी अपनी मूल दशा को पुन: प्राप्त कर लेती है, अर्थात्‌ धन पट्टिका का लेड सल्फेट, लेड ऑक्साइड की पूर्वावस्था में आ जाता है। इस प्रकार ऋण पट्टिका पर हाइड्रोजन आयन दो इलेक्ट्रॉन मुक्त करता है। इसकी अभिक्रिया निम्नलिखित है :

Pb S O4 + 2H+ + 2e ---> Pb + H2 SO4

धन पट्टिका पर सल्फेट आयन दो अलेक्ट्रॉन मुक्त करता है, जिसकी अभिक्रिया निम्नलिखित है :

Pb SO4 + SO4 = -2e ---> Pb (S O4)2

चूँकि प्लंबिक सल्फेट पानी में स्थायी नहीं है, अत: अंतिम अभिक्रिया इस प्रकार होती है :

Pb (S O4)2 + 2 H2 O ---> PbO2 + 2H2 SO4

आवेश की अभिक्रिया से विद्युत्‌ अपघट्य का आपेक्षिक घनत्व बढ़ जाता है। आवेश और विसर्जन का चक्र उस समय तक चलता रहता है, जब तक बैटरी की भौतिक संरचना वैद्युत्‌ अपघटन के कारण या पृथक्कारक पदार्थ के ऑक्सीकरण के कारण नष्ट नहीं हो जाती।

बैटरी की दक्षता ताप के परिवर्तन से प्रभावित होती है। निम्न ताप निम्न दक्षता का कारण होता है। बैटरी के आवेशित और विसर्जित होने की दर पर भी बैटरी की दक्षता निर्भर करती है। जब बैटरी धीरे धीरे आवेशित की जाती है और वह धीरे धीरे विसर्जित होती है, तब बैटरी की दक्षता अत्यधिक होती है।

क्षारीय संचायक बैटरी

इस प्रकार की बैटरी में विद्युत्‌ अपघट्य अम्ल की जगह क्षार होता है। सर्वाधिक प्रचलित क्षारीय बैटरी एडिसन (Edison) सेल प्रकार की बैटरी है। यह बैटरी निकल-लोह क्षारीय प्रकार का सेल है। एक अन्य बैटरी निकल-कैड-नियम प्रकार की है।

इस बैटरी का विद्युत्‌ अपघट्य पोटैशियम और लीथियम ऑक्साइड का जलीय विलयन है। इस विद्युत्‌ अपघट्य से सक्रिय पदार्थ का किसी भी अवस्था में विघटन या विलयन नहीं होता। उच्च निकाल ऑक्साइड के इलेक्ट्रोड पर पोटैशियम और लीथियम हाइड्रॉक्साइड का अल्प परिमाण में अवशोषण होता है, लेकिन आवेशन तथा विसर्जन के संपर्क के दौरान विद्युत्‌ अपघट्य के संघटन में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता। अत: विद्युत्‌ अपघट्य का आपेक्षिक घनत्व एवं चालकता व्यवहारत: स्थिर रहती है। लीथियम हाइड्रॉक्साइड उच्च निकल ऑक्साइड के इलेक्ट्रोड में सक्रिय पदार्थों को अत्यधिक उपयोगी कर देता है। लीथियम हाइड्रॉक्साइड के कारण बैटरी की दक्षता और जीवन में वृद्धि हो जाती है। अत: यह विद्युत्‌ अपघट्य का अत्यावश्यक घटक है।

पट्टिकाएँ बनाने के लिए छिद्रित निकल इस्पात की नलियों या खानों (pockets) में सक्रिय पदार्थ भर दिए जाते हैं। धन पट्टिकाएँ, जो एक दूसरे के बगल में रखी रहती है, अनेक ऊर्ध्वाधर नलियों के रूप में रहती हैं। धन पट्टिका में इसके वैद्युत गुण को बढ़ाने के लिए, निकल हाइड्रेट के साथ फ्लेक निकल (flake nickel) एकांतरित स्तरों में भरा रहता है। नलियाँ, जो बिना जोड़ के परिवेष्टित करनेवाले आठ वलयों से प्रबलित रहती है, ग्रिड पर समान अवकाश में आरोपित रहती हैं। ऋण पट्टिका धन पट्टिका के समान रहती है। अंतर केवल यह रहता है कि ऋण पट्टिका में नली के स्थान पर छिद्रित खाने में सूक्ष्म विभाजित लोह ऑक्साइड सक्रिय पदार्थ के रूप में भरा रहता है। ऋण एवं धन पट्टिकाएँ धन और ऋण समूहों में समायोजित रहती हैं। ऐसा ग्रिडों के सिरों के छोदों में से सयोजी दंड डालकर किया जाता है। इस्पात के छल्ले (washer) के उपयोग से उपयुक्त फासला प्राप्त किया जाता है। मध्य अंतरक पोलपीस (pole-piece) का आधार होता है। संयोजी दंड के प्रत्येक सिरे को लॉक वाशर (lock washer) तथा नट से कस देने पर पट्टिकाओं का समूह दृढ़ता से एक दूसरे के साथ बँध जाता है। सब बाशर, नट, संयोजी दंड तथा टरमिनल निकल इस्पात के बने होते हैं। पट्टिका समूहों को पूर्ण एलिमेंट (element) में संयोजित करते हैं। ऋण पट्टिकाओं के समूह में धन पट्टिकाओं के समूह की अपेक्षा एक अधिक एक अधिक पट्टिका होती है। ऊर्ध्वाधर कठोर रबर पिनों (pins) के द्वारा, जो पट्टिकाओं की लंबाई के बराबर होते हैं, प्रत्यावर्ती ऋण एव धन पट्टिकाएँ विद्युत्रोधी बनाई जाती है। रबर की पट्टियाँ ऋण पट्टिकाओं के बाह्य भागों को पात्र के प्रति विद्युत्रोधी बनाती है। कठोर रबर संरचना द्वारा पट्टिकाओं के सिरों तथा किनारों का विद्युत्रोधन होता है। यह संरचना ग्रिडों का पृथक्करण करती है और पट्टिकाओं के पंक्तिबंधन को ठीक रखती है। इस संरचना का अभिकल्प ऐसा होता है कि विद्युत्‌ अपघट्य का परिसंचरण निर्बाध होता है।

निकल-लोह-क्षारीय सेल का पात्र निकल इस्पात का बनाया जाता है, क्योंकि इस्पात पर पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (विद्युत्‌ अपघटय) की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है। सेल संधियाँ वेल्डित की रहती हैं। इस्पात के वलयों से प्रसारित और कठोर रबर के छल्लों या ग्लैंड कैपों (gland caps) से पोल पीस का विद्युत्रोधन उन स्थानों पर होता है जहाँ से पोल आच्छादन से बाहर निकलता है। संपूर्ण सेल को विद्युत्रोधी पेंट से रँग दिया जाता है। सेल के शीर्ष पर रोज़िन पेट्रोलियम जेली का फिल्म चढ़ा दिया जाता है। नट को कसने से संयोजक सुरक्षित हो जाते हैं। नट को ढीला करके जैक द्वारा हटाया जाता है।

कठोर लकड़ी की ट्रे में निकल-लोह-क्षारीय सेल को बैटरी के रूप में समायोजित किया जाता है। यह समायोजन प्रत्येक सेल को अपने स्थान पर रखता है और ट्रे तथा संगत सेलों के प्रति सेल को विद्युत्रोधी बनाता है।

संचायक सेल के सक्रिय पदार्थ विद्युत्‌ का संचय नहीं करते, पर विद्युत्‌ ऊर्जा के उपयोग से इन सक्रिय पदार्थों में इस प्रकार के भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तन होते हैं जिनसे वे विद्युत्‌ ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम हो जाते हैं। बैटरी को आवेशित करने पर जो रासायनिक परिवर्तन होते हैं, उन्हें समीकरणों द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। विद्युत्‌ अपघट्य पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड, २ पो औ हा (2 K O H), २ पो+ (2K+) और २ और हा (2OH)- में आयनित हो जाता है। फेरस ऑक्साइड, लो और (Fe O), की बनी ऋण पट्टिका पर होनेवाली अभिक्रिया तथा निकल ऑक्साइड की बनी धन पट्टिका पर होनेवाली अभिक्रिया निम्नलिखित समीकरणों से क्रमश: व्यक्त की जा सकती है :

FeO + H2 O + 2K+ ---> 2KOH + 2e

ionizing ­

2 KOH ---> 2K+ + 2OH-

NiO + 2OH- + H2 O ---> NiO2 + 2H2O - 2e

जब सेल विसर्जित होता है, तब ऋण एवं धन पट्टिका पर निम्नलिखित रासायनिक परिवर्तन होता है :

[Fe + 2OH- ---> FeO + H2O - 2e

ionizing

2 KOH --> 2K + 2 OH

NiO2 + H2O + 2K ---> Ni O + 2KOH + 2e

प्रत्येक सेल की, ५ घंटे में, सामान्य औसत विसर्जन दर लगभग १.२० वोल्ट होती है, जबकि लेड एसिड बैटरी की विसर्जन दर २ वोल्ट है। अत: एक ही वोल्ट की ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए लेड सेल की अपेक्षा ऐडिसन सेल की अधिक आवश्यकता पड़ती है। वैद्युत परीक्षण द्वारा बैटरी का आवेश निर्धारित किया जाता है। हाइड्रोमीटर के पाठ्यांक के द्वारा आवेश निर्धारित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि विद्युत्‌ अपघट्य में आपेक्षिक घनत्व आवेश की अवस्था के साथ साथ परिवर्तित नहीं होता।