"गोरखा युद्ध": अवतरणों में अंतर

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सन् १८१४ से १८१६ चला '''गोरखा युद्ध''' (अंग्रेज-नेपाल युद्ध) उस समय के नेपाल अधिराज्य (वर्तमान संघीय लोकतांत्रिक गण राज्य) और ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के बीच में हुआ था। जिसका परिणाम [[सुगौली संधि]] में हुई और नेपाल ने अपना एक-तिहाई भूभाग ब्रिटिश हुकुमत को देना पडा।
==ऐतिहासिक पृष्टभूमि==
शताव्दियों से [[काठमाडौं उपत्यका]] के तीन अधिराज्य १. काठमाडौं २.पाटन ३.भादगाउँ (वर्तमान में भक्तपुर) बाहरी खतरा को बिना भांपे आपस्त में लडाईं करते रहे| इसी संकीर्णता के कारण सन् १७६९ में इस [[काठमाडौं उपत्यका]] में गोरखा के राजा [[पृथ्वीनारायण शाह]] ने आक्रमण कर कब्जा किया, जिसका फलस्वरुप वर्तमान नेपाल देश की स्थापना हुई।
 
सन् १७६७ में वहां के राजाओं ने ब्रिटेन अधिराज्य के विरुद्ध लडाईं करने के लिये गोरखा राज्य से सहायता मागे| कप्तान किन्-लोक् के नेतृत्व में २५०० सेना विना तैयारी लडाईं के लिये भेजे गए| चढाई विपत्ति जनक हुई, ब्रिटिश की कमजोर सेनाको गोरखा सेना ने आसानी से जीत लिया। काठमाण्डु उपत्यका के इस विजय सम्पूर्ण क्षेत्र के लिये गोरखा सत्ता का विस्फोटक शुरुवात हुई। सन् १७७३ मा गोरखा सेना ने पूर्वी नेपाल कब्जा किया और सन् १७८८ में सिक्किम का पश्चिमी भाग में अधिकार जमाया| पश्चिम के तरफ महाकाली नदी तक सन् १७९० में लिया। इस के बाद सुदूर पश्चिम कुमाउ क्षेत्र और इसकी राजधानी अलमोरा समेत गोरखा राज्य में मिलाया गया|
 
 
==लडाईं==