"स्तनपान": अवतरणों में अंतर
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दिन के समय दोनों स्तनों से कम से कम १०-१५ मिनट तक हर दो या ती घन्टे के बाद कराना चाहिए।दिन में हो सकता है कि बच्चे को जगाना पड़े (डॉयपर बदलने या बच्चे को सीधा करने अथवा उस से बातें करने से बच्चे को जगाने में मदद मिलती है)। जब बच्चे की पोषण परक जरूरतें दिन के समय ठीक से पूरी हो जाती हैं तो फिर वह रात को बार बार नहीं जगता। कभी कभी ऐसा भी होता है कि स्तन रात को भर जाते हैं और शिशु सो रहा होता है, तब मां चाहती हैं कि उसे जगाकर दूध पिला दें। जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है, दूध पिलाने की अवधि बढ़ती जाती है।<ref name="बिहार">[http://www.brandbihar.com/hindi/women/stanpaan.html स्तनपान और प्रसवोपरान्त स्तन इन्फैक्शन]।ब्रांड बिहार</ref>
==स्तनों में लंप==
स्तनपान के दौरान स्तनों में लम्प सामान्य बात है जो कि किसी छिद्र के बन्द होने से बन जाता है। दूध पिलाने से पहले (गर्म पानी से स्नान या सेक) सेक और स्तनों की मालिश करें (छाती से निप्पल की ओर गोल गोल कोमलता से अंगुली के पोरों से करें या पम्प द्वारा निकाल दें। बन्द छिद्र या नली को खोल लेना महत्वपूर्ण है नहीं तो स्तनों में इन्फैक्शन हो सकता है। यदि इस सब से लम्प न निकले या फ्लू के लक्षण दिखाई दें तो चिकित्सक का परामर्श लें।
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==संदर्भ==
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