"लोक सेवा गारंटी अधिनियम २०१० (म प्र)": अवतरणों में अंतर
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नागरिकों को विद्युत, जल के कनेक्शन, बच्चों को स्कूल में प्रवश, जन्म, मृत्यु, निवास और विवाह के प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। एफ.आई.आर. की कापी के लिए विनय नहीं करना होगा। राशन कार्ड और हैण्डपंप की मरम्मत में देरी नहीं होगी। समय से सभी काम होंगे जो काम समय से नहीं होंगे उन कामों को करने में देर करने वाला दंडित होगा। देरी से पीडि़त को क्षतिपूर्ति मिलेगी। यह क्षतिपूर्ति 250 से 5000 रूपए तक की हो सकती है।
म.प्र. लोक सेवा प्रदाय की गारंटी विधेयक 2010 एक अभूतपूर्व विधेयक है। इसके परिणाम भी अभूतपूर्व ही होंगे। समय से काम होगें तथा भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति नियत्रित होगी। कार्यों के संचालन में देरी करने पर जुर्माने के प्रावधान से अनावल्लयक विलम्ब की प्रवृत्ति भी रूकेगी। कार्यों में
म.प्र. लोक सेवाओं की गारंटी विधेयक 2010 एक ऐतिहासिक कदम है। नागरिक
अब चिन्हित सेवाओं को प्राप्त करने के लिए आमजन को किसी की इज्छा पर निर्भर नहीं रहना होगा । सेवायें प्राप्त करना अब अधिकार होगा । उन्होंने कहा लोक सेवा प्रदान करने में लापरवाही या कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर अर्थदण्ड आरोपित करने का प्रावधान भी इस अधिनियम में किया गया है । प्रत्येक चिन्हित सेवाओं को प्रदान करने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है। प्रथम चरण में ९ विभागों की २६ सेवाओं को इस अधिनियम के दायरे में रखा गया है । तय समय-सीमा में पदाभिहित अधिकारी को यह सेवा प्रदान करनी होगी । समय-सीमा में काम नहीं करने पर दोषी अधिकारी-कर्मचारी पर २५० रूपये से लेकर ५ हजार रूपये तक के दण्ड की व्यवस्था की गई है ।
'''शामिल विभाग''': ऊर्जा विभाग ६ सेवायें, श्रम विभाग-३ सेवायें, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी २ सेवायें, राजस्व विभाग ५ सेवायें, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग एक सेवा, सामान्य प्रशासन विभाग एक सेवा, सामाजिक न्याय विभाग ५ सेवायें तथा आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग एक सेवा तथा खाद्य विभाग २ सेवायें इस प्रकार ९ विभागों की २६ सेवाएं शामिल हैं।
==बाहरी कड़ियाँ==
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