"उपास्थि": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Cartilage.jpg|300px|right|thumb|सूक्ष्मदर्शी से देखने पर केटिलेज]]
'''उपास्थि''' या '''कार्टिलेज''' (cartilage) मानव शरीर एवं अन्य प्राणियों में पाया जाने वाला लचीला [[संयोजी उत्तक]] है। यह हमारी मज्जा में स्थापित कॉन्ड्रोसाइट्स कोशिकाओं से बने होते हैं। कान की हड्डी, नाक की हड्डी, अस्थियों के जोड़ आदि कार्टिलेज के बने हैं।
कार्टिलेज की संरचना के अनुसार ये [[कोलेजन]] या
तीन तरह के कार्टिलेज में हाइलीन को ही आमतौर पर कार्टिलेज कहा जाता है क्योंकि शरीर में ज्यादातर हाइलीन कार्टिलेज ही होता है। यह हड्डियों को जोड़ों में बांटता है ताकि वे मुड़कर सहजता से काम कर सकें। हाइलीन कार्टिलेज आमतौर पर कोलेजन फाइबर का बना होता है। एलास्टिक कार्टिलेज बाकी अन्य कार्टिलेज से ज्यादा लचीले होते हैं क्योंकि इनमें एलॉस्टिन फाइबर पाया जाता है। इस तरह का कार्टिलेज कान के बाहरी हिस्से (जिसे लैरिक्स कहते हैं) और यूस्टेशियन ट्यूब में मौजूद होता है। लचीला होने के कारण यह इन अंगों की संरचना को बेहतर संतुलित करता है, जिससे कान में बाहर रहने वाली गोलाकार संरचना खुली रह सके। फाइब्रो कार्टिलेज तीनों कार्टिलेज में सबसे अधिक मजबूत और दृढ़ संरचना वाला होता है। इसमें हाइलीन कार्टिलेज से ज्यादा टाइप वन कोलेजन होते हैं, जो टाइप सेकेंड से ज्यादा मजबूत होते हैं। फाइब्रो कार्टिलेज इंटरवर्टीबल डिस्क का निर्माण करते हैं। इसके अलावा ये शिराओं और अस्थिमज्जा को हड्डियों से जोड़ने का काम भी करते हैं। हाइलीन कार्टिलेज क्षतिग्रस्त होने पर फाइब्रो कार्टिलेज में बदल जाते हैं। हालांकि दृढ़ता की वजह से इन कार्टिलेज का वजन कम होता है।
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