"जराविद्या" के अवतरणों में अंतर
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जराविज्ञान के तीन अंग हैं :
*(1) व्यक्ति के शरीर का ह्रास,
*(3) वृद्धावस्था संबंधी सामाजिक और आर्थिक प्रश्न।
इस अवस्था में जो रोग होते हैं, उनके विषय को जरारोगविद्या कहा जाता है। जरावस्था के रोगों की चिकित्सा (Geriatrics) भी इसी का अंग है।
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